बीकानेर। राजस्थान में बजरी सस्ती मिलने का इंतजार और लंबा होता जा रहा है। एक दशक से अधिक समय से महंगी बजरी खरीद रही जनता को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बजरी खानों की नीलामी में अधिकतम खुदरा दरें तय करने का प्रावधान किया था। लेकिन 27 दिसंबर से बजरी की 22 खानों की होने वाली नीलामी को राज्य सरकार ने रुकवा दिया है। इसके लिए 6 दिसंबर को नीलामी प्रक्रिया की विज्ञप्ति जारी की थी। विभाग की ओर से हाल ही जारी आदेश में कहा गया है कि अपरिहार्य कारणों से नीलामी प्रक्रिया को रोका जा रहा है। चर्चा है कि मंत्रिमंडल गठन के बाद खान विभाग को मंत्री मिलेगा, तब नीलामी प्रक्रिया शुरू होगी। अभी बजरी 50 से 60 रुपए फीट में मिल रही है। नई खानों के आवंटन के बाद यह 25 रुपए फीट के आसपास आ सकती है।
राज्य में एक दशक पहले बजरी की खानों की नीलामी की गई थी। उस समय बजरी का खुदरा मूल्य तय नहीं होने से बजरी के भाव आसमान छूने लगे थे। बजरी भाव डेढ़ से दो हजार रुपए टन तक चले गए थे। वर्तमान में भी बजरी 50 से 60 रुपए फीट बिक रही है। लेकिन अब खान विभाग ने नई खानों की नीलामी में अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दिया है। ऐसे में नदी में बजरी खान संचालकों को 200 रुपए टन में बेचनी होगी। यह कीमत रॉयल्टी की चार गुना तय की गई है। अभी रॉयल्टी 50 रुपए टन के आसपास है। बजरी जयपुर आने में भाड़ा और मुनाफा जोड़ा जाए तो 400 रुपए टन बैठेगा। ऐसे में जयपुर में बजरी 600 रुपए टन के आसपास मिलेगी। अभी यह 1200 से 1500 रुपए टन तक मिल रही है।
34 से 100 हेक्टेयर तक की खानें
खान विभाग ने नीलामी के लिए जो 22 खानें चिन्हित की हैं, वे भीलवाड़ा, टोंक, राजसमंद और नागौर जिले से गुजरने वाली बनास और लूनी नदी में हैं। ये खानें 34 से 100 हेक्टेयर के बीच हैं।
