Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Reading: अपने भावों को शुद्ध रखो- 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा
Share
Aa
Aa
Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Search
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Follow US
Khabar21 > Blog > बीकानेर > अपने भावों को शुद्ध रखो- 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा
बीकानेर

अपने भावों को शुद्ध रखो- 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा

admin
admin Published August 13, 2022
Last updated: 2022/08/13 at 7:09 PM
Share
SHARE
Share News

मानव जीवन भवसागर का तट- आचार्य श्री विजयराज जी

बीकानेर। श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने शनिवार को सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में चल रहे अपने चातुर्मास के नित्य प्रवचन में सत्य और असत्य में भेद बताया।  सत्य क्या है..?, सत्य किस लिए आवश्यक है और  सत्य धारण करने से क्या होता है। श्रावक-श्राविकाओं को इस भेद से अवगत कराया। महाराज साहब ने कहा कि महापुरुष फरमाते हैं कि सत्य जीवन में आना चाहिए। सत्य वो इक्का है जो किसी भी शुन्य या संख्या के साथ लगाने से वह बढ़ जाती है। वास्तविकता में है या होता है, वही सत्य है। हम जो है को है मानते हैं, वह सत्य है और जो नहीं है उसे मानते हैं, वह असत्य हो जाता है। एक उदाहरण से उन्होंने बताया कि जैसे आत्मा है, जो दिखाई नहीं देती लेकिन उसके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता। इसी प्रकार धर्म- अधर्म, पुण्य  और पाप, स्वर्ग और नरक है वो सत्य है और जो इनको नहीं मानता है, वह असत्य है।
महाराज साहब ने बताया कि जो वास्तविक है वही आस्तिक होता है, जो आस्तिक होता है वह धार्मिक होता है और जो धार्मिक होता है वही अध्यात्मिक होता है। इसलिए पहले वास्तविक बनो, फिर आस्तिक बनो, फिर धार्मिक और उसके बाद अध्यात्मिक बनना चाहिए। जो भौतिक होता है, वह अधार्मिक होता है।
आचार्य श्री ने कहा कि हमारा सत्य वास्तविक है, काल्पनिक नहीं है। जैसे व्यक्ति जो देखता है, सुनता है, समझता है और इसके बाद में जो इसका मिला जुला रूप बनता है, वह काल्पनिक होता है, जैसे नींद में देखा गया सपना काल्पनिक होता है। महाराज साहब ने बताया कि सत्य में रमण करने वाला साता वेदनीय कर्म का उपार्जन करता है। इसलिए अपने भावों में जीना चाहिए। जो अपने भाव में जीता है, वह अपने को अपना और पराये को पराया मानता है। अपना कौन और पराया कौन..?। महाराज साहब ने इस भेद को खोलते हुए बताया कि जैसे शरीर, जिसे हम अपना मानते हैं, लेकिन वास्तविकता में यह अपना होता नहीं है। और आत्मा जिसे हम सदैव पराया मानते हैं, जबकि आत्मा सदैव हमारे साथ रहती है। शरीर तो उस किराये के मकान जैसा है, जिसमें एक किरायेदार रहता है, समय-समय पर साफ-सफाई करता है। मरम्मत करवाता है। रंग-रौगन भी करता है। किसलिए…?, क्योंकि वह जानता है कि यह मकान किराये का जरूर है,एक ना एक दिन छोडक़र भी जाना है।  लेकिन जब तक हम रहते हैं, उसकी देखभाल हमारे लिए जरूरी होती है। साधक भी शरीर रूपी मकान में रहते जरूर हैं लेकिन वह इसे किराये का घर ही मानते हैं, उनके लिए तो मोक्ष ही उनका स्थाई निवास होता है। इसलिए सत्य का साधक इसी मानसिकता के साथ जीता है और वह शरीर से मोह नहीं रखता है।
सत्संग का लाभ बताते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने कहा कि सत्संग में आदमी जब आता है तो वह थोड़ा-थोड़ा जागता है, उसे बोद्य होता है, थोड़ा संभलता है, थोड़ा सुनता है और थोड़ा समझता है। क्योंकि वह ज्यादातर समय सांसारिक सुखों में खोया रहता है। इसलिए उसे धर्म, ध्यान और ज्ञान की बातें ज्यादा समझ नहीं आती, लेकिन जब आने लगती है तो सत्य की नाव पर बैठकर व्यक्ति भव सागर को पार कर जाता है। जिसे सत्य का मार्ग नहीं मिलता है, वह जीव संसार में यूं ही गोता खाता है। मानव जीवन भवसागर का तट है।
आचार्य श्री ने कहा कि सप्ताह में सात वार होते हैं, इनमें से एक वार आने का होता है और दूसरा वार जाने का है। बाकी जो पांच वार बीच में है, यही हमारे अंदर राग, मोह पैदा करते हैं। संसार में जो अपना है वही अपना होता है और पराया कभी अपना नहीं होता है। महाराज साहब ने बताया कि परमात्मा को भी अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। महाराज साहब ने कहा कि धर्म सत्य है, समाज सत्य है और व्यक्ति को अपने सामाजिक, धार्मिक कार्यों में झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ   को चाहे जितना छुपाने का कोई प्रयास करले लेकिन अंत में सामने आ ही जाता है। जिस दिन झूठ प्रकट हो जाता है, उस दिन व्यक्ति अपनी मान-मर्यादा, प्रतिष्ठा और इज्जत को गंवा देता है। इसलिए व्यक्ति को अपने वर्तमान और भविष्य का सदेव ध्यान रखना चाहिए और भावों को शुद्ध रखना चाहिए।
बड़ी संख्या में बाहर से पहुंचे श्रावकगण, आचार्य श्री के दर्शनलाभ लिए
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि शनिवार को आचार्य श्री विजयराज जी म.सा.  के दर्शनार्थ एवं उनके मुख से जिनवाणी का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में अहमदाबाद, सूरत, मुंबई, चितौडग़ढ़, ब्यावर, नवाणीया और जोधपुर सहित अन्य स्थानों से श्रावक-श्राविकाऐं संघ में पधारे, बाहर से पधारे श्री संघ के श्रावकगणों का बीकानेर श्री संघ की ओर से सम्मान एवं सत्कार किया गया।


Share News

admin August 13, 2022
Share this Article
Facebook TwitterEmail Print
Leave a comment

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Latest Post

पर्यावरण पखवाड़े के अंतर्गत गौशाला में गौ वंश को बचाने हेतु सार्थक प्रयास
बीकानेर
जे.पी.एस. पटेल नगर में समर कैम्प का हुआ भव्य आगाज
बीकानेर शिक्षा
There will be power cuts in these areas tomorrow - know which areas are included
कल इन क्षेत्रों में रहेगी बिजली कटौती – जानें कौन-कौन से इलाके शामिल
बीकानेर
राजस्थान में आंगनबाड़ी पदों पर भर्ती, स्थानीय महिलाओं के लिए सुनहरा मौका
राजस्थान
मोहता चौक अतिक्रमण से जकड़ा, आमजन परेशान
बीकानेर
रेपो रेट घटा लेकिन लोन सस्ता क्यों नहीं हुआ?
Bank RBI
पीएम किसान की 20वीं किस्त कब? किसानों को जल्द बड़ी राहत की उम्मीद
देश-दुनिया
8वें वेतन आयोग में कितना होगा फिटमेंट फैक्टर? जानिए ताजा अनुमान
देश-दुनिया

You Might Also Like

बीकानेर

पर्यावरण पखवाड़े के अंतर्गत गौशाला में गौ वंश को बचाने हेतु सार्थक प्रयास

Published June 11, 2025
बीकानेरशिक्षा

जे.पी.एस. पटेल नगर में समर कैम्प का हुआ भव्य आगाज

Published June 11, 2025
There will be power cuts in these areas tomorrow - know which areas are included
बीकानेर

कल इन क्षेत्रों में रहेगी बिजली कटौती – जानें कौन-कौन से इलाके शामिल

Published June 11, 2025
बीकानेर

मोहता चौक अतिक्रमण से जकड़ा, आमजन परेशान

Published June 11, 2025

© Copyright 2022, All Rights Reserved Khabar21 | Designed by Uddan Promotions Pvt. Ltd.

Join WhatsApp Group

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?