बीकानेर। बीकानेर के परकोटे में देर रात तक एक ऐसी परंपरा का निर्वहन हुआ जो करीब 500 साल से चली आ रही है। इसकी शुरुआत बीकानेर रियासत की स्थापना से मानी जाती है। राव बीकाजी द्वारा नगर स्थापना के समय यह परंपरा शुरू हुई। दशहरे की रात बीकानेर पुष्करणा समाज के सामूहिक सावे को लेकर देर रात तक विद्वान पंडितों के बीच गहन मंथन हुआ। सावे को लेकर पूरे शहर में चर्चा रही। इसके लिए भव्य एलईडी से भी प्रसारण हुआ। मंथन चर्चाओं का खूब दौर चला। फिर यह तय हुआ कि पुष्करणा ब्राह्मण समाज का सामूहिक विवाह सावा 18 फरवरी 2024 को होगा। मंगलवार को विजयादशमी के दिन करीब चार घंटे तक विद्वान पंडितों के बीच शास्त्रार्थ के बाद एकमत से तिथि तय की गई। दशहरा के दिन सावा तिथि के शोधन की 500 सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार विभिन्न प्रकार के शास्त्रों में दिए गए श्लोक की व्याख्या के साथ अलग अलग तिथियों के दोष पर चर्चा के बाद रात्रि डेढ़ बजे के बाद मुहूर्त की घोषणा हुई। जसोलाई तलाई स्थित महादेव मंदिर में इस शास्त्रार्थ को देखने के लिए लोगों का हुजूम नजर आया। रात 2 बजे तक लोग जाग रहे थे।

