


जयपुर। राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंगकर्मी पहली बार स्काई ब्लू, ब्लू और नेवी ब्लू ड्रेस कोड में नजर आएंगे। फ्लोरेंस नाइटिंगेल को नर्सिंग की जनक माना जाता है। सन 1853 में उन्होंने लंदन में महिलाओं का एक अस्पताल खोला। 170 वर्ष के नर्सिंग इतिहास में राज्य की नर्सेज को सफेद ड्रेस में ही देखा जाता रहा है। इधर, नर्सेज के दूसरे धड़े ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि यह नर्सेज की पहचान मिटाने की कोशिश है। नर्सेंज संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश पदाधिकारियों की शुक्रवार को चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह से वार्ता के बाद ड्रेस कोड में बदलाव के आदेश जारी हुए। पुरुष नर्सिंगकर्मी स्काई ब्लू शर्ट, नेवी ब्लू पेंट में रहेंगे। महिला नर्सिंग कर्मियों का ड्रेस कोड ब्लू साड़ी, कुर्ता, नेवी ब्लू सलवार, सफेद एप्रिन रहेगा। ड्रेस कोड में नेवी ब्लू ब्लेजर, जर्सी, ब्लैक शूज, व्हाइट मोजे भी शामिल किए गए हैं। राज्य में सफेद ड्रेस कोड को लेकर हमेशा अस्पष्टता रही, लेकिन नर्सेज का यही परंपरागत ड्रेस कोड माना जाता रहा।

राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्याम सिंह ने आरोप लगाया कि यह आंदोलन गलत मांगों को लेकर था। इसीलिए 60 हजार नर्सेज इससे दूर रहीं। इसके बावजूद सरकार ने हजारों नर्सेज को विश्वास में लिए बिना ड्रेस का कलर बदल दिया। यह नर्सेज का अपमान है। शालीनता और शांति का प्रतीक सफेद रंग नर्सेज की पहचान रहा है। 11 सूत्री मांगों में से कुछ ही मानकर नर्सेज को झुनझुना पकड़ाया है। ड्रेस कोड बदलने का निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलन करेंगे।