बीकानेर। पीबीएम हाॅस्पिटल में पिछले करीब 40 दिनाें में डेंगू और मलेरिया के 188 केस आ चुके हैं। मलेरिया से दाे मरीजाें की माैत हाे चुकी है। मरीजाें की संख्या बढ़ते देख डी वार्ड शुरू कर दिया गया है। पीबीएम हाॅस्पिटल के मेडिसिन आउटडोर में राेज पांच साै मरीजाें में से 150-200 मरीज बुखार के आ रहे हैं। हाॅस्पिटल के एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आने पर उसे भर्ती किया जा रहा है। प्राइवेट लैब की रिपोर्ट काे रिकाॅर्ड में नहीं लिया जा रहा है। डाॅक्टराें का कहना है कि लाेग बुखार हाेने पर पहले से ही प्राइवेट लैब से जांच करा कर आ रहे हैं।उन्हें ट्रीटमेंट भी उसी के आधार पर दिया जा रहा है, लेकिन पीबीएम के एलाइजा टेस्ट में पाॅजिटिव आने पर ही केस रिकाॅर्ड में लिया जाएगा। यही कारण है कि डेंगू और मलेरिया के केस काफी हैं, लेकिन रिकाॅर्ड कम हाे रहे हैं। पीबीएम में अगस्त माह से लेकर अब तक डेंगू के 7959 सैंपल टेस्ट हुए हैं, जिनमें से 95 केस पाॅजिटिव आए हैं। इसी प्रकार मलेरिया के 2438 सैंपल में से 93 केस पाॅजिटिव रिपाेर्ट हुए हैं। पीबीएम हाॅस्पिटल में भर्ती दाे मलेरिया राेगियाें की माैत अब तक हाे चुकी है। सी, ई और एफ वार्ड भरने से डी वार्ड में भी मरीज भर्ती किए जाने लगे हैं।मलेरिया फेल्सीफेरम के 10 केस रिपाेर्टम लेरिया फेल्सीफेरम (पीएफ) के करीब 10 केस रिपाेर्ट हाे चुके हैं। इनमें ज्यादातर खाजूवाला और श्रीगंगानगर से आ रहे हैं। मलेरिया पीएफ सबसे खतरनाक है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं लिया तो सात दिनों में मरीज की मौत हो जाती है। मेडिसिन विभाग के एचओडी डाॅ. संजय काेचर का कहना है कि 1993 में अकेले काेलायत में पीएफ के करीब पांच हजार केस रिपाेर्ट हुए थे। उसके बाद 2003 में पीएफ फैला था। उसके बाद यह शांत रहा। एक-दाे केस लाेकल आए, जाे कहीं नहीं गए। ऐसे में पीएफ के केस और आने की आशंका है। डाॅ. काेचर ने बताया कि ज्यादातर केस में राेगी बुखार हाेते ही मेडिसिन शुरू कर देते हैं, जिससे उनके पीएफ रिपाेर्ट नहीं हाे पाता।

