बीकानेर। निगम में मुख्य लेखाधिकारी कोई है ही नहीं। जो हैं वो चार्ज पर हैं। सभी एएओ हैं। किसी से भी काम लिया जा सकता है। रही बात नोटिस की तो एकाउंट सेक्शन को ये ध्यान रखना चाहिए था कि किस फाइल में क्या है और उस हिसाब से भुगतान होना चाहिए था। एक बार जवाब आने दीजिए फिर देखता हूं। केसरलाल मीणा, आयुक्त नगर निगम
घटिया क्वालिटी की सडक़ बनने की सीएम पोर्टल, कलेक्टर और निगम आयुक्त से की थी शिकायत
वार्ड 15 में मार्च 2022 में बनी सडक़ ने शुक्रवार को नगर निगम में हलचल मचा दी। 700 मीटर की सडक़ के लिए शुक्रवार को निगम के सात अधिकारियों को नोटिस थमाए गए। जिसमें एक्सईएन से लेकर जेईएन-एईएन, मुख्य लेखाधिकारी, एकाउंटेंट समेत तमाम अधिकारी शामिल हैं। दरअसल नगर निगम ने वार्ड 15 में पिछले साल 20 लाख रुपए की लागत से सडक़ बनवाई थी।
700 मीटर की सडक़ थी। सडक़ बनने के बाद जैसे ही बारिश आई तो कई जगह से उखड़ गई। स्थानीय पार्षद ने इसकी शिकायत सीएम पोर्टल, कलेक्ट्रेट और नगर निगम में की। कुछ समय बाद कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी अभियंताओं से इसकी जांच कराई तो जांच में सामने आया कि सडक़ का निर्माण घटिया क्वालिटी का हुआ।
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इस बीच निगम के अभियंताओं की रिपोर्ट पर करीब 75 प्रतिशत का भुगतान ठेकेदार को कर दिया। पार्षद ने मांग की कि इसे वापस ठीक कराया जाए। एईएन नजीर गौरी ने ठेकेदार से वापस काम करने के लिए कहा लेकिन ठेकेदार ने अनसुना कर दिया। शुक्रवार को अचानक आयुक्त ने सात अधिकारियों को नोटिस थमाते हुए तीन दिन में जवाब मांग लिए। जिनको नोटिस मिला उसमें मुख्य लेखाधिकारी सुमेरसिंह भाटी, कनिष्ठ लेखाकर प्रमोद जाट, कनिष्ठ सहायक देवानंद, कैशियर प्रेम कुमार, तत्कालीन कार्यवाहक एक्सईएन नजीर गौरी, एईएन ओमप्रकाश चौधरी, एईएन संजय ठोलिया, वरिष्ठ सहायक गोपाल किराडू, जेईएन गीता यादव शामिल हैं। इन सभी से तीन दिन के भीतर निगम आयुक्त ने जवाब तलब किया है। सभी तो चेतावनी दी कि जवाब ना आने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
अकाउंट बना अफसरों का टूल
नगर निगम में अकाउंट से जुड़े अधिकारी अधिकारियों का टूल बन कर रह गये। नगर निगम में ऐसे कई टेंडर हुए जिसमें मुख्य लेखाधिकारी तक फाइल ही नहीं जाती। उदाहरण के तौर पर शुक्रवार को वार्ड 15 की सडक़ को लेकर मुख्य लेखाधिकारी को इसलिए नोटिस दिया गया क्योंकि उनके रहते ठेकेदार को भुगतान कैसे हुआ जबकि महंगाई राहत कैंप के इतने टेंडर हुए लेकिन उसकी एक भी फाइल मुख्य लेखाधिकारी तक नहीं गई
कम्प्यूटर खरीद हुई उसमें मुख्य लेखाधिकारी को साइड लाइन किया गया। हाल ही में महंगाई राहत कैंप के तहत 40 लाख रुपए टेंट का भुगतान होने की तैयारी है वो फाइल भी वहां तक नहीं गई मगर इसमें कुछ अनियमितता पाई गई तो नोटिस मुख्य लेखाधिकारी जरूर मिलेगा।
क्योंकि निगम आयुक्त के पीए भी एकाउंटेंट हैं। उनके माध्यम से फाइल वहां से होकर आयुक्त तक आ जाती है। स्टोर के ज्यादातर टेंडर की फाइल मुख्य लेखाधिकारी तक नहीं जाती। पूर्व आयुक्त तो मुख्य लेखाधिकारी के रहते हुए भी सारे काम कनिष्ठ लेखाकार से कराते थे जबकि जिस एकाउंटेंट से काम लिया जाता था उसे डीएलबी से तीन बार रिलीव करने के आदेश निगम पहुंचे लेकिन ना तो पूर्व आयुक्त ने उन्हें रिलीव किया ना मौजूदा आयुक्त ने।

