जयपुर।कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इशारों में कुछ मंत्रियों पर बीजेपी से दोस्ती निभाने का तंज कसकर सियासी चर्चाएं छेड़ दी हैं। डोटासरा ने कहा कि हमारे कुछ लोग आरएसएस बीजेपी से दोस्ती निभाते हैं, मैं मानता हूं। मुझे पता है किसी बीजेपी के नेता के कहने से अफसर चेंज हो जाते हैं लेकिन कांग्रेस एमएलए और कार्यकर्ता के कहने पर नहीं होते। ये दिक्कतें आती हैं। जब फील्ड में जाते हैं तो ये बातें हमें सुनने भी मिलती है। मैं कहना चाहता हूं कि हम संगठन के लोग हैं हम सब ने मिलकर सरकार बनाई है।डोटासरा ने कहा- कुछ लोग ऐसे हैं जो बीजेपी और आरएसएस को ठोक कर जवाब देते हैं। जब मेरा गला नहीं काट सकते तो तुम्हारा क्या बिगाड़ लेंगे, आरएसएस और बीजेपी गड़बड़ कर रही है तो बोलो। यह समय दोस्ती निभाने का नहीं है। दोबारा सरकार आती है तो संगठन के कारण से आएगी और जो संगठन को महत्व देगा उसका उज्जवल भविष्य होगा।
साफ कहने से नुकसान होता है तो भुगतने को तैयार
डोटासरा ने कहा- हम प्रदेश पदाधिकारियों से यह उम्मीद करते हैं कि जब भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी यह कहे कि आपको फील्ड में जाना है तो आपको जाना ही पड़ेगा। जो नहीं जाएगा उसके बारे में यह माना जाएगा कि वह काम करने का इच्छुक नहीं है। मुझे तो जो मिला है वह स्पष्टवादिता से मिला है अगर कोई कभी नुकसान होगा तो मैं भुगतने को तैयार हूं, लेकिन काम करना पड़ेगा। मुझे भी यह कहा गया था, राहुल गांधी ने पूछा था कि कौन सबसे बेहतर जिलाध्यक्ष है तो उस समय के प्रभारी अविनाश पांडे और काजी निजामुद्दीन ने मेरा नाम बताया, मैं उसी दिन मंत्री बन गया था।बड़े नेता की सिफारिश से बने पदाधिकारी गलतफहमी में नहीं रहें, बड़े नेताओं के ईर्द गिर्द घूमने से काम नहीं चलेगा डोटासरा ने कहा- इसलिए किसी को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं पदाधिकारी बन गया और किसी की सिफारिश से बन गया। इसका मतलब यह है कि वह सीनियर नेता यह चाहता है कि आप कांग्रेस के लिए कॉन्ट्रिब्यूशन करें। कांग्रेस को मजबूत कर दोबारा राज लाएं । इसका मतलब यह नहीं है कि आप उस नेता के इर्द-गिर्द घूमें और वह कहे तो पीसीसी या जिले में जाएं और वह नहीं कहे तो नहीं जाएं।
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पिछली कार्यकारिणी के कई नेता मैसेज तक नहीं देखते थे, उन्हें विदा कर दिया डोटासरा ने कहा- पिछली कार्यकारिणी में 39 पदाधिकारी थे। हमने संगठन के कामों के लिए वाट्सएप ग्रुप बना रखा था, उनमें से 4-5 को छोड़ कोई जवाब ही नहीं देता था। इस बार उनमें से बहुत से नेताओं को बाहर कर दिया है। अब भी किसी ने काम नहीं किया तो बाहर हो जाएंगे। आपने अपना काम किया इसके लिए धन्यवाद, अब यह जिम्मेदारी किसी और को दी जाती है, यह व्हाट्सएप हमें नहीं देखना पड़े। यह मैं आपको रिक्वेस्ट करना चाहता हूं। उसमें आप भी हो, मैं भी हूं। मैं भी कोई अलग नहीं हूं। मैं भी काम नहीं करूंगा तो मेरे से काम ले कर दूसरे को जिम्मेदारी दी जा सकती है और दी जाती रही है।टासरा ने कहा- प्रभारी, सहप्रभारी, मंत्री या हम लोग जिले में जा रहे हों। हम जिस जिले में जा रहे हैं, अगर उसमें हमारा पदाधिकारी बिना छुट्टी लिए नहीं आया तो यह मान लेना कि उसी दिन शाम को धन्यवाद सहित सेवाएं समाप्त हैं।
जिलाध्यक्ष सात दिन में कार्यकारिणी बना लें, अगर नहीं बनाई तो उस जिले में कार्यकारी अध्यक्ष लगा दिया जाएगा
डोटासरा ने कहा- जिले की कार्यकारिणी जहां नहीं बनी है वे जिलाध्यक्ष सात दिन में जिले की कार्यकारिणी बना लें। आज तक जो परिपाटी चलती रही है कि साल भर तक तक जिलाध्यक्ष कार्यकारिणी नहीं बनाते हैं। अब हमारे पास समय नहीं है, इसलिए आज ही जाने के बाद जिले के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर उनके जो भी सुझाव हैं वी लीजिए। सात दिन के भीतर जिला कार्यकारिणी बनाकर प्रदेश कांग्रेस को भिजवा दीजिए। अगर आपने सात दिन में जिले की कार्यकारिणी नहीं भिजवाई तो वहां पर वर्किंग प्रेसिडेंट लगाकर काम करवाना पड़ेगा।
डोटासरा ने कहा- जिले की कार्यकारिणी के लिए सबकी राय लीजिए। हमने देखा है कि कई विधायक कई बार कहने के बावजूद कार्यकारिणी के लिए नाम नहीं देते हैं। चार से पाचं बार जीता हुआ विधायक अगर नाम देने में सोचकर बताने की कहें तो समझ जाइए वे किसी को नाराज नहीं करना चाहते हैं। ऐसी हालत में आप सब से आग्रह है कि आप जिले के सर्वेसर्वा हैं।कांग्रेस कमेटी का कोई दबाव नहीं है, एक बार जिले के नेता के पास जाइए। जो नेता यह कहे कि मैं बाद में बता दूंगा तो आप अपने हिसाब से आकलन कर एक्टिव लोगों को कार्यकारिणी में डाल दीजिए।