


नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट में फेरबदल से पहले संभावित नामों पर चर्चा जारी है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि आज होने वाली मीटिंग से पहले किसी भी समय मोदी कैबिनेट में नए मंत्री बनने वालों की लिस्ट जारी हो सकती है। मोदी कैबिनेट में आखिरी बदलाव 25 जून को हुआ था, तब कानून मंत्री किरेन रिजिजू का विभाग बदला गया था। किरेन रिजिजू की जगह अर्जुन मेघवाल को कानून मंत्री मंत्री बनाया गया था। उसी दिन कानून राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल का भी मंत्रालय बदला गया था।
इससे पहले बड़े स्तर पर आखिरी बार 2021 में मोदी कैबिनेट में फेरबदल हुआ था, तब 43 मंत्रियों ने शपथ ली थी। पिछले विस्तार में रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावेडक़र जैसे मंत्रियों को हटाया गया था। वहीं अनुराग ठाकुर, किरेन रिजीजू और पुरुषोत्तम रुपाला का प्रमोशन हुआ था।
मोदी कैबिनेट में फेरबदल की आशंका तेज क्यों
बीते कुछ महीनों में गुजरात, हिमाचल, कर्नाटक सहित नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों का चुनाव हो चुका है। अब मध्य प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होना है। मोदी कैबिनेट विस्तार की क्रोनोलॉजी देखें तो इसमें एक चीज साफ है, विस्तार के बाद जिन राज्यों में चुनाव होने होते हैं, वहां के नेताओं को तरजीह मिलती है। मंत्रिमंडल में फेरबदल कर बीजेपी आगे होने वाले राज्यों से ज्यादा चेहरे सरकार में शामिल कर सकती है। जिसका लाभ वो विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में भी उठा सके।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तसीगढ़ का मोदी कैबिनेट में स्थान
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ हिंदीपट्टी के इन तीन बड़े राज्यों में इसी साल के अंत में चुनाव होना है। तीनों जगह चुनावी राजनीति तेज हो चली है। एमपी में अभी भाजपा तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। तीनों ही राज्यों में भाजपा-कांग्रेस में मेन फाइट होती है। ऐसे में चुनाव पूर्व भाजपा इन राज्यों के सांसदों को कैबिनेट में शामिल करने के प्लान में है।
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से बीजेपी के पास 62 सांसद हैं। मौजूदा सरकार में इन तीनों राज्यों से 10 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इनमें से कमजोर प्रदर्शन करने वाले 1-2 का पत्ता कट सकता है। राजनीति के जानकारों की माने तो मोदी कैबिनेट के आगामी विस्तार में मध्य प्रदेश को 3, छत्तीसगढ़ को 2 और राजस्थान को 2 और मंत्री पद मिल सकता है।
मध्य प्रदेश से सुमेर सोलंकी, राकेश सिंह और रीती पाठक का नाम चर्चा में है। राजस्थान से रंजीता कोली, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा रेस में है। बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां से विजय बघेल और सरोज पांडेय मंत्री को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। साथ ही इन तीनों राज्यों के कई सीनियर नेताओं को संगठन में भी एडजस्ट करने की भी चर्चा है।
अब बात तेलंगाना की, यहां भी इसी साल चुनाव
तेलंगाना में भी इसी साल के अंत में चुनाव होना है। यहां भारत राष्ट्र समिति (क्चक्रस्) अभी सरकार में है। केसीआर से मुकाबले के लिए भाजपा पूरी ताकत लगा रही है। ऐसे में तेलंगाना से एक सांसद को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है।
तेलंगाना से मंत्री बनने की रेस में सोयम बापू राव और धर्मपुरी अरविंद का नाम रेस में सबसे आगे है। तमिलनाडु से 2 मंत्री बनाए जा सकते हैं। तमिलनाडु में एनडीए की सहयोगी एआईएडीएमके को एक मंत्री पद दिया जा सकता है. एआईएडीएमके कोटे से एम थंबीदुरई मंत्री बनाए जा सकते हैं।
गुजरात से ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा यहां से मंत्रियों का कोटा कम करने के मूड में है। चर्चा है कि गुजरात कोटे के कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है। इस समय मोदी कैबिनेट में गुजरात से प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला, दर्शना जरदोस, देवूसिंह चौहाण और महेन्द्र मुंजपरा मंत्री हैं।
गुजरात के मंत्रियों की छंटनी में मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला और दर्शना जरदोश के नाम की चर्चा है। मांडविया के पास स्वास्थ्य, रूपाला के पास पशुपालन व डेयरी और जरदोश के पास रेलवे (राज्य मंत्री) विभाग है। इन्हें हटाकर गुजरात के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को कैबिनेट में शामिल किए जाने की चर्चा तेज है। पाटिल ने गुजरात चुनाव में पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी।
कर्नाटक-महाराष्ट्र कोटे के मंत्रियों पर भी संकट
महाराष्ट्र से अभी मोदी कैबिनेट में 8 मंत्री हैं, इनमें नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, नारायण राणे और रामदास आठवले का नाम प्रमुख हैं। महाराष्ट्र से शिंदे गुट ने 3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल का प्रस्ताव दिया है।
यदि यह प्रस्ताव पारित हुआ तो बीजेपी अपने कोटे से कुछ मंत्रियों को बाहर कर सकती है। नए समीकरण में भारती पवार, राव साहेब दानवे और नारायण राणे की कुर्सी जा सकती है। दूसरी ओर शिंदे गुट से राहुल सेवाले और कृपाल तुमाने की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है।
कर्नाटक से इस समय 6 मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल हैं। इनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का नाम प्रमुख है। कर्नाटक के 6 में से 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदजाले के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा जोरों पर है।
बिहार-यूपी के मंत्रियों का भी कट सकता है पत्ता
केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार और यूपी से इस समय 20 मंत्री हैं। बिहार से अश्विनी चौबे, पशुपति पारस और आरके सिंह की कुर्सी खतरे में है। इन तीनों में से कम से कम 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है। बिहार से चिराग पासवान की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है, जबकि बीजेपी से संजय जायसवाल, अजय निषाद और राम कृपाल यादव में से एक को मंत्री बनाया जा सकता है।
बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां से महेंद्र नाथ पांडेय, अजय मिश्र टेनी समेत 4 मंत्रियों की कुर्सी खतरे में है। पांडेय का विभाग भारी उद्योग पर शिवसेना का दावा रहा है। यूपी कोटे से संजीव बालियान का कद बढ़ाया जा सकता है। पांडेय और टेनी का पत्ता कटता है, तो उनकी जगह ब्राह्मणों को साधने के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी या हरिश द्विवेदी को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान की बदल सकती है भूमिका
सियासी गलियारों की चर्चा की माने तो मोदी कैबिनेट के आगामी बदलाव में कैबिनेट से पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका बदली जा सकती है। दोनों को संगठन में भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है। पीयूष गोयल के पास खाद्य एवं आपूर्ति और धर्मेंद प्रधान के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है। पीयूष गोयल को राजस्थान बीजेपी का प्रभार मिल सकता है। वो बीते 15 दिन में 3 बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं। वहीं धर्मेंद्र प्रधान को यूपी बीजेपी का प्रभारी बनाया जा सकता है।
कितने मंत्री बनाए जा सकते हैं?
नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री समेत केंद्र सरकार में कुल 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस समय 78 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं, सिर्फ 3 पद रिक्त है। ऐसे में इस बार ज्यादा स्पेस नहीं है। नए मंत्री बनाने के लिए पुराने मंत्रियों को हटाना होगा। ऐसे में संभावनाएं जताई जा रही है कि खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों पर गाज गिर सकती है।
