


जयपुर। हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी, राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से सत्ताधारी पार्टी में छलक रहे आंतरिक लोकतंत्र के बीच 11 तारीख का खास महत्व हो गया है। पिछले दो महीने में 11 तारीख को जो हुआ है, उससे पर्सेप्शन के मोर्च पर सरकार और पार्टी दोनों के लिए मुश्किल ही हुई है। अब फिर 11 तारीख आने को है। इस बार युवा नेता के फिर बड़ा सियासी धमका करने की चर्चाएं सियासी गलियारों में दिल्ली से लेकर जयपुर तक है।
अंदरखाने हर तरह की तैयारी बताई जा रही है। सियासी जानकार यहां तक दावा कर रहे हैं कि इस बार मामला आर-पार का है, युवा नेता नई सियासी राह पर चल सकते हैं।सब कुछ तय बताया जा रहा है। जानकार इसके कई संकेत और हालात के आधार पर अटकलें लगा रहे हैं। अब राजनीति में जब हो जाए, मानना तभी चाहिए क्योंकि यहां कब क्या हालात बन जाएं और कब क्या फैसला हो जाए, कहा नहीं जा सकता। अब जहां चाह वहीं से सियासी राह निकलती है, सियासी मौसम वैज्ञानिक भी 11 के इंतजार में हैं।कैमरों के सामने बड़े नेताजी ने क्यों दी गाली?

प्रदेश के मुखिया और युवा नेता के बीच सुलह के लिए दिल्ली में हुई बैठक के नतीजे सामने आ ही चुके हैं। साउथ वाले नेताजी ही हर बार दोनों के बीच सुलह की घोषणा करते हैं।इस बार भी वे ही सामने आए। प्रभारी और दाेनों नेताओं को साथ लेकर साउथ वाले नेताजी ने सब ठीक ठाक होने का दावा करते हुए युवा नेता की मांगों को हाईकमान पर छोड़ने का ऐलान कर दिया।
हाईकमान पर छोड़ने वाली बात में एक शब्द ऐसा बोल गए कि अर्थ का अनर्थ हो गया। यह सब कुछ लाइव चल रहा था। युवा नेता और प्रभारी को तो तत्काल हंसी आ गई, नेताजी को तब तक भी भान नहीं था कि उन्होंने गाली दे दी है। मुंह से निकला शब्द और बंदूक से निकली गोली वापस नहीं आती। अब नेताजी पर मीम बन रहे हैं।
सियासी अभिमन्यु : दफ्तर में ही रास्ता भूले नेताजी
सत्ताधारी पार्टी ने पिछले दिनों सचिवों की जंबो लिस्ट जारी की। कई नए चेहरों को मौका मिला तो सब भाग भागकर नेताओं का आभार जताने भी पहुंचे। सचिव बनने वाले नेताओं को अब तक विधानसभा चुनाव की टिकट का दावेदार माना जाता है। सचिव बने शेखावाटी के एक नेताजी भी सत्ताधारी पार्टी के मुख्यालय गए।
सबको परिचय दिया, बड़े नेताओं को मालाएं पहनाईं। नए चेहरों को पद देने पर आखिर परिचय तो देना ही होता है। नेताजी जब मुख्यालय से निकलने लगे तो रास्ता भूल गए। एग्जिट गेट नहीं मिला।यह सीन बाहर खड़े नेताओं ने देख लिया, पूछने पर नेताजी एग्जिट गेट का रास्ता पूछने लगे। बस यहीं से बात का बतंगड़ बन गया। कोई इन्हें सियासी अभिमन्यु बताने लगा तो कोई कह रहा है ऐसे नेताओं को पद दोगे तो यही होगा।दिग्गज नेताओं की छवि एजेंसियों के सहारे सियासत शुरू से ही पर्सेप्शन का गेम रहा है। पहले कार्यकर्ता नेताओं का पर्सेप्शन बनाते थे, चुनाव के वक्त कुछ बैनर पोस्टर और झंडे लगाकर काम चला लेते थे। अब सब कुछ प्रोफेशनल होने लगा है।बड़े नेता अब पर्सेप्शन बनाने से लेकर छवि चमकाने का काम पीआर एजेंसियों को देने लगे हैं। प्रदेश के मुखिया के बाद अब पूर्व प्रदेश मुखिया के भी पीआर एजेंसी हायर करने की चर्चाएं हैं। कुछ एजेंसी वाले पर्सेप्शन बनाने बिगाड़ने वालों से मिलने लगे हैं।युवा नेता के लिए पहले से ही एक एजेंसी काम कर रही है। एक क्रांतिकारी नेताजी भी प्रोफेशनल एजेंसी हायर करने का प्लान कर रहे हैं।चुनावी साल में इस बार नेताओं के साथ एजेंसियों के बीच भी वॉर होने वाला है। दिग्गज नेताओं की छवि एजेंसियों के सहारे ही है। जनता अब समझदार और जागरूक हो गई है।टोल कंपनी को शाही रेल में खातिरदारी का ठेका, मंत्री नाराज, घमासान तय
सरकार के निगमों में कई बार गजब फैसले होते हैं। पिछले दिनों पर्यटकों वाले निगम ने टेंडर किए। टेंडर शाही ट्रेन में मेहमानों की खातिरदारी का था। आम तौर पर हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री के अनुभवी को ही काम मिलता है, लेकिन यहां टोल कंपनी को काम दे दिया।हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री से काम छीनकर टोल कंपनी खातिरदारी का काम कैसे बेहतर करेगी, इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है। जिन कंपनियों को टेंडर से बाहर किया उनके कारण भी वाजिब नहीं है। इन टेंडरों को लेकर अब जयपुर से दिल्ली की एजेंसियों तक शिकायतें पहुंचाई जा रही हैं।एक व्हिसलब्लोअर ने पूरे दस्तावेज कई जगह पहुंचाए हैं। महकमे के मंत्री इस पर आग बबूला बताए जा रहे हैं। पर्यटन महकमे में इस टेंडर पर अब घमासान तय माना जा रहा है। पहले भी मंत्री टेंडर को लेकर तेवर दिखा चुके हैं, अबकि बार मामला और बड़ा बताया जा रहा है।राजधानी वाले मंत्री से क्यों नाराज हुए अल्पसंख्यक विधायक?राजधानी में सत्तधारी पार्टी के नेताओं के बीच जंग नई बात नहीं है। अब एक मंत्री और विधायक के बीच कोल्ड वॉर शुरू हो गया है। चुनाव से पहले यह जंग और तेज हो सकती है क्योंकि मामला अस्तित्व से जुड़ गया है। राजधानी के मंत्री ने पिछले दिनों अपने कुछ खास कार्यकर्ताओं को अल्पसंख्यक सीट से चुनाव लड़ने का संकेत दिया।मंत्री के इरादों की भनक मौजूदा अल्पसंख्यक विधायक तक पहुंच गई। इसके बाद से अल्पसंख्यक विधायक मंत्री से नाराज हैं और यह लड़ाई बढ़ भी सकती है। सीट बदलने भर की चर्चाओं से ही यह हाल है तो टिकटके वक्त क्या होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है।आईएएस ने दिखाया बड़े अफसर को पावर, मिली मनचाही पोस्टिंग झीलों की नगरी से खास लगाव रखने वाले एक आईएएस ने आखिरकार बड़ों-बड़ों को अपनी ताकत दिखा दी। पिछले दिनों राजधानी में तबादला हुआ तो अफसर ने प्रदेश के मुखिया के प्रमुख सचिव तक को ग्रुप में गरिया दिया। गरियाने वाला पोस्ट कुछ समय के बाद डिलीट भी कर दिया।डिजिटल युग में डिलीट तो मन की तसल्ली है, कई अफसर उस गरियाने वाले मैसेज को कॉपी करके सही—गलत जगह पहुंचा चुके थे। इसकी चर्चा भी खूब हुई लेकिन रसूखदार अफसर को कुछ नहीं बिगड़ा, हुआ वही जो वे चाहते थे। हाल ही निकली तबादला लिस्ट में अफसर वापस झीलों की नगरी चले गए। रसूख हो तो ऐसा।फायरब्रांड नेताजी ने बताई कैंपेन कमेटी अध्यक्ष की हैसियत सत्ताधारी पार्टी से लेकर विपक्षी पार्टी तक में कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने से लेकर तरह तरह की चर्चाएं चलने लगीं हैं। इस कमेटी का नाम भले बड़ा हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है। कैंपेन कमेटी के चैयरमैन रह चुके फायरब्रांड नेताजी ने कुछ गुणीजनों को कैंपेन कमेटी चैयरमैन की असलियत बयां कर दी।नेताजी ने खुद का अनुभव साझा करते हुए जो बताया वह वाकई रोचक है। कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष रहते नेताजी तैयार होकर दोपहर तक इंतजार करते रहते थे, फिर दोपहर की नींद पूरी करते और फिर शाम हो जाती, कोई पूछने वाला नहीं था।अब युवा नेता इस तरह की कमेटी के अध्यक्ष बनने का क्या मतलब? अब जिन जिन नेताओं के नाम इस कमेटी के लिए चल रहे है, उससे समझ लीजिए यह कमेटी सियासी दिल बहलाने से ज्यादा कुछ नहीं है।