बीकानेर। राजस्थान सरकार की ओर से थोपे जा रहे राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ चिकित्सा जगत में विरोध बढ़ता जा रहा है। इसके चलते शनिवार को बीकानेर में भी प्राइवेट डॉक्टर्स ने विरोध प्रदर्शन कर अपने होस्पीटलों में कार्य बहिष्कार कर राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए गांधी पार्क से लेकर कलक्टरी तक पैदल मार्च निकाल कर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। डॉक्टर्स के कार्य बहिष्कार से प्राईवेट होस्पीटलों में चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह ठप्प रही। वहीं सुबह 9 से 11 बजे तक सरकारी डॉक्टर्स ने भी ओपीडी का बहिष्कार कर प्राइवेट डॉक्टर्स को अपना समर्थन दिया। ऐसे में पीबीएम और जिला हॉस्पिटल में भी मरीजों को इलाज के लिए करीब दो घंटे से ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ा।
राइट टू हेल्थ के खिलाफ गठित संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक डॉ.अरूण तुंगारिया ने बताया कि इस बिल के विरोध में बीकानेर डॉक्टर्स पिछले दस दिन से विरोध जता रहे हैं। एक तरफ तो डॉक्टर्स को धरती पर भगवान कहा जाता है दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की वजह से वही डॉक्टर सडक़ों पर उतरने को मजबूर हुए हैं। वहीं प्रदर्शन में शामिल डॉ.विकास पारीक बताया कि विरोध के अगले चरण में रविवार से प्राइवेट होस्पीटलों में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत रोगियों का पंजीयन नहीं किया जायेगा इसके बावजूद सरकार इस बिल को विधानसभा में पास कर देती है तो फिर लड़ाई आर-पार की होगी।
इसके बाद बीकानेर सहित प्रदेशभर के प्राइवेट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉ.पारीक ने कहा कि आम जनता को स्वास्थ्य का अधिकार है। जो सरकार मुहैया करवाती है लेकिन पिछले 75 सालों में यह सरकार का फेलियर रहा है। अब प्रदेश सरकार इस बिल के जरिए अपनी जिम्मेदारी प्राइवेट डॉक्टर्स पर डालना चाह रही है। जो हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
बिल में काफी विसंगतिया,जो मान्य नहीं
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प्राईवेट डॉक्टर्स ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से थोपे जा रहे राईट टू हेल्थ बिल में कुछ विसंगतियां है, जो डॉक्टर्स को मान्य नहीं है। इस पर सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई। इसको लेकर रोष है। उन्होंने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल का राजस्थान में निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर हानिकारक और विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। बिल को किसी भी सूरत में लागू होने योग्य नहीं है। इससे राजस्थान से डॉक्टरों का पलायन हो जाएगा। बिल में सजा के खिलाफ अपील करने का प्रावधान नहीं है। संविधान भी अपील करने का अधिकार देता है। इमरजेंसी की भीपरिभाषा नहीं साफ की गई है। बिल सरकारी डॉक्टरों के लिए भी व्यावहारिक नहीं है। सरकार जल्दबाली में बिना सोचे समझे बिल लाई है। इसको लेकर आज राजस्थान में चिकित्सा सेवाएं बंद रखकर बिल का विरोध किया जा रहा है। बिल को लागू नहीं किया जाना चाहिए और संशोधन नहीं होने पर प्रदेश के डॉक्टर विरोध करेंगे।