


जयपुर। प्रदेश में अब एसीबी अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज होने के बाद उस पर केस चलाने का फैसला करने के लिए हाईपावर कमेटी बनेगी। यही कमेटी एसीबी मामलों में केस चलाने को मंजूरी देने या नहीं देने पर फैसला करेगी। सरकार के चार साल के कामकाज पर जयपुर के हरिश्चंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में चल रहे चिंतन शिविर में यह फैसला लिया गया। चिंतन शिविर में तैयारी करके नहीं आने वाले अफसरों को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फटकार लगाई।
नहीं होगी किसी तरह की लेटलतीफी
2 दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन सोमवार को यह निर्णय लिया गया। इससे पहले हुई कैबिनेट की बैठक में भी इस मामले पर चर्चा की गई थी। ्रष्टक्च में ट्रैप हुए, भ्रष्टाचार या आय से ज्यादा संपत्ति के मामलों में केस चलाने की मंजूरी देने में अब विभागों की मनमानी खत्म हो जाएगी। वर्तमान में ऐसे करीब 610 मामले पेंडिंग हैं, जिसमें विभाग के स्तर से अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में केस कमजोर हो जाता है और इसका लाभ आरोपियों को मिलता है। भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी देने और रिव्यू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। कमेटी में गृह विभाग के एसीएस या प्रमुख सचिव, कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अफसर मेंबर होंगे।
चिंतन शिविर के दौरान लापरवाह अफसरों को सीएम अशोक गहलोत ने फटकार लगाते हुए परफॉर्मेंस सुधारने की चेतावनी दी। मंत्रियों के प्रेजेंटेशन के दौरान खूब सवाल-जवाब भी हुए।
चिंतन शिविर के दौरान लापरवाह अफसरों को सीएम अशोक गहलोत ने फटकार लगाते हुए परफॉर्मेंस सुधारने की चेतावनी दी। मंत्रियों के प्रेजेंटेशन के दौरान खूब सवाल-जवाब भी हुए।
विभाग के स्तर से देरी होने पर केस होता है कमजोर
्रष्टक्च में पकड़े गए भ्रष्ट अफसरों ओर कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी ( अभियोजन स्वीकृति) संबंधित विभाग देता है। विभाग कई बार भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों के खिलाफ लंबे समय तक केस चलाने की मंजूरी नहीं देते हैं, जिससे केस कमजोर पड़ जाता है। इसका फायदा आरोपी को मिलता है। कोर्ट भी तय समय में केस चलाने की मंजूरी देने पर आदेश दे चुका है, लेकिन अब भी देरी आम बात है।
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भ्रष्टाचार के मामलों में 610 अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ अटका है मामला
एसीबी में भ्रष्टाचार के मामलों में 610 अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ प्रोसिक्यूशन सैंक्शन अटकी हुई है। सरकार के 51 विभागों में केस चलाने की मंजूरी अटकी हुई है। इनमें सबसे ज्यादा 110 मामले पंचायतीराज विभाग में और 107 मामले स्वायत शासन विभाग में के हैं। एसीबी रिकॉर्ड के अनुसार, राजस्व विभाग में 44, पीडब्ल्यूडी में 33, स्वास्थ्य विभाग में 30, पुलिस के 28, परिवहन विभाग के 26, खनिज विभाग के 18, यूडीएच के 17, महिला बाल विकास के 15 और कृषि विभाग में 14 मामले पेंडिंग हैं। ये ऐसे मामले हैं, जिसमें विभाग को आरोपी अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने को मंजूरी देनी है।
लापरवाह अफसरों को गहलोत की चेतावनी

चिंतन शिविर के दौरान लापरवाह अफसरों को सीएम अशोक गहलोत ने फटकार लगाते हुए परफॉर्मेंस सुधारने की चेतावनी दी। मंत्रियों के प्रेजेंटेशन के दौरान खूब सवाल-जवाब भी हुए। हर विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान बजट घोषणाओं और कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए गए वादों पर हुए काम का रिव्यू किया गया। मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने प्रेजेंटेशन के जरिए बताया कि पिछले चार साल में 2722 घोषणाएं हुईं, जिनमें से 2549 की फाइनेंशियल सैंक्शन हो चुकी है।
दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक-एक पॉइंट पर बात की। उन्होंने भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी देने और रिव्यू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश दिए। ताकि केस की सुनवाई समय से शुरू हो और आरोपियों को सजा मिल सके।
दो दिवसीय चिंतन शिविर के पहले दिन सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक-एक पॉइंट पर बात की। उन्होंने भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी देने और रिव्यू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने के निर्देश दिए। ताकि केस की सुनवाई समय से शुरू हो और आरोपियों को सजा मिल सके।
पेपर लीक और कोटा का मामला छाया रहा
चिंतन शिविर के दौरान पेपर लीक और कोटा आारटीयू में प्रोफेसर का छात्रा से नंबर बढ़ाने के नाम पर अनुचित डिमांड करने जैसे मामलों पर लंबी चर्चा हुई। खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा- कोटा मामले को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। परीक्षाओं के पेपर लीक के मामले पर भी लंबा डिस्कशन हुआ है। सरकार इन मामलों पर सख्त रुख अपनाएगी। कोचिंग और निजी यूनिवर्सिटी पर कंट्रोल के लिए सरकार बिल लाएगी।