बीकानेर जिले में पुलिस ने धैर्य, रणनीति और सतत निगरानी का उदाहरण पेश करते हुए एक सनसनीखेज हत्या मामले का खुलासा किया है। करीब दो साल तक फरार चल रहे तीन सगे भाइयों को पुलिस ने ओडिशा–छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिसकर्मियों ने किसान और मजदूर का भेष धारण कर लगातार सूचनाएं जुटाईं।
क्या था पूरा मामला
26 नवंबर 2023 को पीड़ित ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने उस पर जानलेवा हमला किया, इस दौरान उसका मोबाइल फोन और 25 हजार रुपये भी छीन लिए गए। इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई, जिसके बाद पुलिस ने मामला हत्या में परिवर्तित कर लिया। शुरुआती जांच में यह मामला चुनावी रंजिश से जुड़ा हुआ बताया गया था।
गिरफ्तारी तक पहुंचने की रणनीति
मामले की गंभीरता को देखते हुए आईजी हेमंत शर्मा, एसपी कावेन्द्र सागर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण बनवारी लाल मीणा के निर्देश पर सीओ नोखा जरनैल सिंह की निगरानी में थानाधिकारी जसरासर आलोक सिंह के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई। टीम ने आरोपियों पर लगातार नजर रखी और जमीनी स्तर पर सूचनाएं संकलित कीं।
इनाम घोषित कर बढ़ाया गया दबाव
घटना के बाद से ही तीनों आरोपी फरार थे और लगातार पुलिस को चकमा दे रहे थे। गिरफ्तारी के लिए पहले प्रत्येक आरोपी पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया, जिसे बाद में बढ़ाकर 15-15 हजार रुपये कर दिया गया। इसके बावजूद आरोपी हाथ नहीं आए।
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देशभर में बदलते रहे ठिकाने
पुलिस जांच में सामने आया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी देश के कई हिस्सों में छिपते रहे। उन्होंने अहमदाबाद, मुंबई, बेंगलुरु, सिलीगुड़ी, कोलकाता, गुवाहाटी, ईटानगर, आगरा, ललितपुर, जोरहाट, असम और महासमुंद जैसे स्थानों पर फरारी काटी। पुलिस के अनुसार, आरोपी नेपाल सीमा पार कर वहां भी कुछ समय तक छिपे रहे। इस दौरान वे अपनी पहचान छुपाकर मजदूरी और खेती जैसे काम करते रहे।
ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा से दबोचे गए आरोपी
लगातार निगरानी, सूचनाओं के सत्यापन और सटीक रणनीति के बाद पुलिस टीम ने ओडिशा–छत्तीसगढ़ बॉर्डर के पास स्थित महासमुंद इलाके से तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें बीकानेर लाकर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है।
कार्रवाई में शामिल रही यह टीम
इस सफल ऑपरेशन में थानाधिकारी आलोक सिंह के साथ पुलिसकर्मी जयकिशन, देवाराम, हरिनाथ, कैलाश, शिवप्रकाश, सुमित, बलवान, दीपक यादव और दिलीप सिंह शामिल रहे।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई संगठित अपराध के खिलाफ सख्त संदेश है और फरार अपराधियों को कितने भी समय बाद क्यों न हो, कानून के दायरे में लाया जाएगा।

