भारत–पाकिस्तान के बीच मई महीने में बढ़े सैन्य तनाव को लेकर पाकिस्तान ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारतीय ड्रोन हमलों से उसके प्रमुख सैन्य ठिकानों में से एक नूर खान एयरबेस को नुकसान पहुंचा था। यह बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार की ओर से दिया गया, जिससे इस पूरे घटनाक्रम की गंभीरता और स्पष्ट हो गई है।
80 ड्रोन भेजे जाने का दावा
विदेश मंत्री इशाक डार ने वर्ष के अंत में हुई एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत ने 36 घंटों के भीतर पाकिस्तान की ओर लगभग 80 ड्रोन भेजे थे। उनके अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने इनमें से अधिकांश ड्रोन को निष्क्रिय कर दिया, लेकिन एक ड्रोन सैन्य परिसर तक पहुंच गया और वहां तैनात ढांचों को नुकसान हुआ। इस हमले में कुछ सैनिकों के घायल होने की भी पुष्टि की गई है।
रावलपिंडी स्थित एयरबेस बना निशाना
डार ने बताया कि रावलपिंडी के चकला इलाके में स्थित पाकिस्तान वायुसेना के नूर खान एयरबेस पर यह हमला हुआ था। यह एयरबेस सामरिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है। उन्होंने माना कि भारतीय कार्रवाई सटीक थी और इसके कारण सैन्य उपकरणों को नुकसान पहुंचा।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा तनाव
यह पूरा घटनाक्रम भारत द्वारा 7 मई को शुरू किए गए सैन्य अभियान के बाद सामने आया। यह अभियान अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया था, जिसमें 26 आम नागरिकों की जान गई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर गोलीबारी और सैन्य गतिविधियों में तेजी देखी गई।
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सीजफायर तक कैसे पहुंचा मामला
तनाव अपने चरम पर तब पहुंचा जब पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क कर संघर्षविराम का प्रस्ताव रखा। दोनों पक्षों की सहमति के बाद हालात को नियंत्रित किया गया।
सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ नुकसान का खुलासा
13 मई को मैक्सर टेक्नोलॉजीज द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में पाकिस्तान के कई एयरबेस पर क्षति के संकेत मिले थे। इनमें नूर खान एयरबेस के अलावा सरगोधा का मुशफ एयरबेस, भोलारी एयरबेस और जैकोबाबाद एयरबेस शामिल बताए गए थे।
पहले भी हो चुकी है स्वीकारोक्ति
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की ओर से नूर खान एयरबेस पर हमले की बात मानी गई हो। इससे पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि 10 मई को भारतीय मिसाइल हमलों में इस एयरबेस समेत अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
कुल मिलाकर, पाकिस्तान की इस आधिकारिक पुष्टि ने मई में हुए भारत–पाकिस्तान सैन्य टकराव से जुड़े कई सवालों के जवाब दे दिए हैं और यह स्पष्ट कर दिया है कि उस दौरान हालात कितने संवेदनशील हो चुके थे।

