राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) द्वारा आयोजित सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) भर्ती परीक्षा का परिणाम सामने आने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। परीक्षा में शामिल हुए लगभग 2700 अभ्यर्थियों में से सिर्फ 4 उम्मीदवार ही सफल घोषित किए गए, जबकि 2696 अभ्यर्थी असफल रहे। परिणामों की असामान्य स्थिति को देखते हुए मामला अब राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है।
181 पदों के मुकाबले सिर्फ 4 चयन
RPSC ने सहायक अभियोजन अधिकारी के कुल 181 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन घोषित परिणामों में केवल चार अभ्यर्थियों को ही उत्तीर्ण माना गया है। हैरानी की बात यह है कि ये सभी अभ्यर्थी सामान्य वर्ग से हैं, जबकि आरक्षित वर्ग का एक भी उम्मीदवार चयनित नहीं हो सका। इसके चलते 177 पद रिक्त रह गए हैं।
न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक की शर्त बनी बड़ी बाधा
APO भर्ती-2024 की मुख्य परीक्षा 1 जून को आयोजित की गई थी। आयोग के नियमों के अनुसार प्रत्येक प्रश्नपत्र में न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य था। परिणाम 10 दिसंबर को जारी किए गए, जिसमें स्पष्ट हुआ कि अधिकांश अभ्यर्थी इस न्यूनतम योग्यता को भी पूरा नहीं कर पाए।
RJS परीक्षा में सफल अभ्यर्थी APO में फेल कैसे?
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में एक अहम तथ्य सामने रखा गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कई ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) भर्ती परीक्षा 2025 में 40 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए थे, वे भी APO मुख्य परीक्षा में असफल घोषित कर दिए गए। इससे परीक्षा मूल्यांकन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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कठोर मूल्यांकन और मॉडरेशन पर उठे सवाल
19 अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि परीक्षा में अत्यधिक कठोर अंकन किया गया और अंकों के मॉडरेशन में गंभीर गड़बड़ी हो सकती है। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से पूरी भर्ती परीक्षा को निरस्त करने की मांग की है। अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत में पक्ष रखा है।
हाईकोर्ट से न्याय की उम्मीद
अब यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है। अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि अदालत परीक्षा प्रक्रिया, मूल्यांकन पद्धति और परिणामों की निष्पक्ष जांच के आदेश देगी। इस फैसले का असर न केवल APO भर्ती पर बल्कि भविष्य की RPSC परीक्षाओं की पारदर्शिता पर भी पड़ सकता है।

