814वें उर्स की औपचारिक शुरुआत, अजमेर में उमड़ा आस्था का सैलाब
अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 814वें उर्स की औपचारिक शुरुआत हो गई है। उर्स के मौके पर देश-विदेश से हजारों जायरीन रोजाना दरगाह पहुंचकर ख्वाजा गरीब नवाज़ की बारगाह में हाज़िरी दे रहे हैं। उर्स से जुड़े धार्मिक आयोजन 30 दिसंबर तक जारी रहेंगे।
समापन के दिन बड़े कुल की रस्म अदा की जाएगी, जिसमें केवड़ा जल, गुलाब जल और इत्र से पूरी दरगाह को महकाया जाएगा। यह रस्म उर्स का सबसे अहम हिस्सा मानी जाती है।
प्रधानमंत्री मोदी व केंद्र सरकार की ओर से पेश की गई मखमली चादर
सोमवार को उर्स के अवसर पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ख्वाजा साहब की दरगाह में मखमली चादर और फूल पेश किए गए। यह जिम्मेदारी भारत सरकार के संसदीय कार्य एवं केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजु ने निभाई।
दरगाह में जियारत के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव की ओर से महफिलखाने में मंत्री किरेन रिजिजु का औपचारिक स्वागत किया गया।
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देश की खुशहाली के लिए मांगी गई दुआएं
दरगाह में चादर पेश करने के बाद मंत्री किरेन रिजिजु ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह में देश की तरक्की, सामाजिक सौहार्द और खुशहाली के लिए दुआ मांगी।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत सहित भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से भी चादर पेश
814वें उर्स के मौके पर लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से भी ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह में चादर पेश की गई। पार्टी प्रमुख चिराग पासवान की ओर से भेजा गया संदेश बुलंद दरवाजे पर पार्टी महासचिव साबिर ने पढ़कर सुनाया।
चादर पेश करने के दौरान देश की उन्नति, शांति और भाईचारे के लिए विशेष दुआएं की गईं। दरगाह के खादिम सैयद जहूर बाबा चिश्ती ने पार्टी प्रतिनिधियों को जियारत करवाई।
उर्स: आस्था, एकता और सूफी परंपरा का प्रतीक
ख्वाजा गरीब नवाज़ का उर्स सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आपसी भाईचारे और सूफी परंपरा का प्रतीक माना जाता है। हर धर्म और समुदाय के लोग यहां आकर अमन-चैन और इंसानियत की दुआ मांगते हैं।

