मौजूदा सत्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं, हाईकोर्ट ने किया स्पष्ट
राजस्थान के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए अहम फैसला सामने आया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि चालू शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव आयोजित नहीं किए जाएंगे। अदालत ने कहा कि सत्र अपने अंतिम चरण में है, ऐसे में चुनाव कराने से शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित होंगी।
यह निर्णय राजस्थान विश्वविद्यालय सहित राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया गया।
शिक्षा का अधिकार प्राथमिक, चुनाव उससे ऊपर नहीं
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छात्रसंघ चुनाव लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करते हैं, लेकिन इन्हें शिक्षा के मौलिक अधिकार से ऊपर नहीं रखा जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रदान करना और शैक्षणिक अनुशासन बनाए रखना है। चुनाव यदि पढ़ाई में बाधा बनते हैं, तो उन्हें टालना जरूरी है।
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सरकार से स्पष्ट और तर्कसंगत नीति बनाने को कहा
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह छात्रसंघ चुनावों को लेकर एक स्पष्ट, व्यावहारिक और तर्कसंगत नीति तैयार करे। कोर्ट का कहना था कि हर साल चुनाव को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनती है, जिससे छात्रों और प्रशासन दोनों को परेशानी होती है।
इसके साथ ही निर्वाचन आयोग को भी निर्देश दिए गए कि भविष्य में चुनावी गतिविधियों के लिए विश्वविद्यालय परिसरों के बजाय वैकल्पिक व्यवस्थाएं की जाएं, ताकि पढ़ाई और परीक्षाएं प्रभावित न हों।
आगामी चुनावों के लिए दिशा-निर्देश तय होंगे
न्यायमूर्ति समीर जैन ने जय राव समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि 19 जनवरी 2026 को सभी संबंधित पक्षों की बैठक बुलाई जाए। इस बैठक में आगामी छात्रसंघ चुनावों को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।
यदि किसी वर्ष चुनाव न कराने का निर्णय लिया जाता है, तो उसके पीछे ठोस और लिखित कारण बताना अनिवार्य होगा। इसके अलावा राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों को मिलकर छात्रसंघ चुनावों के सुचारु संचालन के लिए एक स्थायी बोर्ड या समिति गठित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मार्च में जारी हो चुनाव कैलेंडर
हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि हर शैक्षणिक वर्ष के लिए छात्रसंघ चुनाव कैलेंडर मार्च महीने में जारी किया जाए। इससे पूरे साल की शैक्षणिक गतिविधियों की योजना पहले से तय हो सकेगी और चुनाव के कारण पढ़ाई में व्यवधान नहीं आएगा। अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव कैलेंडर का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।


