बीकानेर। महिला उत्पीड़न मामलों की विशेष अदालत ने इंस्टाग्राम के जरिए दोस्ती, अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और फिरौती जैसे गंभीर आरोपों से जुड़े सनसनीखेज मामले में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने साक्ष्यों के अभाव और प्रमुख गवाहों के बयान बदलने के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
क्या था पूरा मामला
अभियोजन के अनुसार, वर्ष 2024 में पीड़िता की पहचान इंस्टाग्राम के माध्यम से मदनलाल से हुई थी। आरोप लगाया गया कि मदनलाल ने हथियार दिखाकर पीड़िता को डराया, उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी और घर से बाहर बुलाकर दिल्ली व नोएडा ले गया। वहां मदनलाल और संदीप कुमार कायस्त पर सामूहिक दुष्कर्म, अश्लील वीडियो बनाने, जेवरात व नकदी छीनने तथा जबरन विवाह कराने के आरोप लगाए गए थे। इस संबंध में गंगाशहर थाने में मामला दर्ज किया गया था और पुलिस ने जांच के बाद गंभीर धाराओं में आरोप पत्र पेश किया।
कोर्ट में बदले बयान, केस की दिशा पलटी
मुकदमे की सुनवाई के दौरान केस में बड़ा मोड़ तब आया जब पीड़िता और उसकी बहन ने अपने पूर्व बयान से पलटते हुए कोर्ट को बताया कि उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं हुई। उन्होंने अपहरण, बलात्कार, धमकी और लूट से साफ इनकार कर दिया। पीड़िता की मां ने भी अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया और कहा कि बेटियां अपनी इच्छा से घर से गई थीं। मुख्य गवाहों के पलटने से अभियोजन की पूरी कहानी कमजोर पड़ गई।
- Advertisement -
अदालत का निष्कर्ष
विशेष न्यायाधीश रैना शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि आरोपों की पुष्टि के लिए ठोस, विश्वसनीय और स्वतंत्र साक्ष्य सामने नहीं आए। गवाहों के बयान विरोधाभासी पाए गए, जिससे अभियोजन आरोप साबित करने में असफल रहा। इन परिस्थितियों में अदालत ने मदनलाल, संदीप कुमार कायस्त और जुली उर्फ नंदनी को अपहरण, बलात्कार, सामूहिक दुष्कर्म, धमकी और आपराधिक षड्यंत्र सहित सभी आरोपों से बरी कर दिया।
बचाव पक्ष की दलील
आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामकिशन कड़वासरा ने कोर्ट में दलील दी कि मामला तथ्यों के बजाय संदेह पर आधारित था, जिसे सुनवाई के दौरान गवाहों के बयानों ने स्वयं ही खारिज कर दिया।
यह फैसला सोशल मीडिया के माध्यम से बने संबंधों और उनसे जुड़े आपराधिक मामलों में साक्ष्य की मजबूती को लेकर एक अहम उदाहरण माना जा रहा है।


