बीकानेर। मादक पदार्थों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए एनडीपीएस मामलों की अदालत ने दो अलग-अलग प्रकरणों में आरोपियों को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है। न्यायाधीश अनुभव सिडाना ने डोडा पोस्त तस्करी के मामले में फरमान खोखर और एमडी ड्रग्स प्रकरण में भुपेन्द्र रिंटोड़ की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।
डोडा पोस्त तस्करी का मामला
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 8 नवंबर 2025 की रात करीब साढ़े एक बजे गंगाशहर थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि भीनासर नाका क्षेत्र में तीन युवक डोडा पोस्त बेचने की तैयारी में खड़े हैं। सूचना पर डीएसटी टीम मौके पर पहुंची और तीनों संदिग्धों को पकड़ लिया।
- Advertisement -
तलाशी के दौरान फरमान खोखर, सदीक खान और गणेश उर्फ विजय बारूपाल के बैग से कुल 22.964 किलोग्राम डोडा पोस्त बरामद किया गया। आरोपियों के पास मादक पदार्थ रखने का कोई वैध लाइसेंस या परमिट नहीं मिला। इस पर गंगाशहर थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।
फरमान खोखर की ओर से दलील दी गई कि वह निर्दोष है और सह-आरोपियों को पहले ही उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है, इसलिए समानता के आधार पर उसे भी राहत दी जाए। हालांकि अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि फरमान के खिलाफ पहले से आपराधिक रिकॉर्ड मौजूद है।
एमडी ड्रग्स से जुड़ा दूसरा मामला
दूसरा मामला 14 दिसंबर 2025 की रात का है। सदर थाना पुलिस गश्त पर थी, तभी बीएसएनएल कार्यालय के पीछे एक गली में बाइक सवार दो युवक पुलिस को देखकर भागने लगे। संदेह के आधार पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया।
पूछताछ में बाइक चालक ने अपना नाम हर्षित ओझा और पीछे बैठे युवक ने भुपेन्द्र रिंटोड़ बताया। तलाशी के दौरान बाइक के वाइजर से 6.63 ग्राम एमडी ड्रग्स बरामद हुई। दोनों आरोपियों के पास नशीले पदार्थ से संबंधित कोई वैध दस्तावेज नहीं पाया गया।
भुपेन्द्र रिंटोड़ ने अदालत में कहा कि वह निर्दोष है, एमडी की मात्रा वाणिज्यिक सीमा से कम है और बाइक सह-आरोपी की है। वहीं अभियोजन पक्ष ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए जमानत का कड़ा विरोध किया।
अदालत का सख्त रुख
दोनों मामलों की सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि डोडा पोस्त मामले में भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद हुआ है और आरोपी का आपराधिक इतिहास भी सामने आया है। वहीं एमडी ड्रग्स मामले में बरामदगी आरोपी के कब्जे से जुड़ी हुई पाई गई, जिससे अपराध की गंभीरता कम नहीं होती।
इन आधारों पर न्यायालय ने फरमान खोखर और भुपेन्द्र रिंटोड़ दोनों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। राज्य की ओर से दोनों मामलों में पैरवी लोक अभियोजक हरीश कुमार भट्टड़ ने की।
यह फैसला नशा तस्करी के मामलों में अदालतों की सख्ती और जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है।


