राज्य के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने सत्र 2025-26 के लिए जिला रैंकिंग की नई व्यवस्था लागू कर दी है। अब जिलों की रैंकिंग केवल परीक्षा परिणामों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे साल शिक्षा, आधारभूत ढांचे और प्रशासनिक कार्यप्रणाली के प्रदर्शन को मापा जाएगा। शिक्षा विभाग हर महीने जिलावार रैंकिंग जारी करेगा, जिससे स्कूलों की वास्तविक स्थिति सामने आ सके।
नई रैंकिंग प्रणाली का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिले केवल कागजी आंकड़ों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी शिक्षा सुधार की दिशा में आगे बढ़ें। इसके लिए शाला दर्पण, संबलन ऐप और शिक्षक ऐप से प्राप्त डेटा को आधार बनाया जाएगा। विभाग का मानना है कि इससे जिलों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर सीधी नजर रखी जा सकेगी।
तीन प्रमुख श्रेणियों में होगी रैंकिंग
जिला रैंकिंग के नए मेट्रिक्स को तीन मुख्य थीम में बांटा गया है—अकादमिक, गवर्नेंस और स्टेट प्रायोरिटी। इन तीनों के आधार पर जिलों का समग्र प्रदर्शन तय किया जाएगा।
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अकादमिक प्रदर्शन को मिलेगा सबसे ज्यादा वेटेज
अकादमिक श्रेणी को कुल 50 प्रतिशत वेटेज दिया गया है। इसमें छात्र उपस्थिति, सीबीए और ओआरएफ के परिणाम, बोर्ड परीक्षा प्रदर्शन, पाठ्यपुस्तक और वर्कबुक सुधार, एबीएल किट का उपयोग, गृहकार्य की गुणवत्ता और ‘मिशन स्टार्ट’ टाइम-टेबल जैसे बिंदु शामिल हैं।
छात्र उपस्थिति को भी अहम माना गया है। 80 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति पर 5 अंक और 95 प्रतिशत से ज्यादा उपस्थिति पर 10 अंक तक दिए जाएंगे।
गवर्नेंस और डिजिटल निगरानी पर विशेष फोकस
गवर्नेंस श्रेणी को 30 प्रतिशत वेटेज दिया गया है। इसमें शिक्षा अधिकारियों के स्कूल भ्रमण लक्ष्य और शिक्षकों की शिक्षक ऐप पर सक्रिय भागीदारी को प्रमुख मानक बनाया गया है।
शिक्षकों द्वारा ऐप पर शैक्षणिक कंटेंट देखने और विद्यार्थियों के रीडिंग रिमेडिएशन से जुड़ाव का सीधा असर जिला रैंकिंग पर पड़ेगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि अधिकारियों ने अपने निर्धारित स्कूल विजिट टारगेट कितने प्रतिशत तक पूरे किए। यह पूरा डेटा शाला दर्पण से लिया जाएगा।
राज्य प्राथमिकताओं में स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं
स्टेट प्रायोरिटी श्रेणी के तहत शाला स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को शामिल किया गया है। विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच, स्कूलों में शौचालयों की स्थिति और पेयजल की उपलब्धता को रैंकिंग का हिस्सा बनाया गया है।
संबलन ऐप के जरिए यह रिपोर्ट किया जाएगा कि कितने छात्रों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग हुई है। यदि 95 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों की जांच पूरी होती है, तो जिले को पूरे 10 अंक मिलेंगे।
शौचालय और पेयजल की स्थिति पर सीधी निगरानी
नई व्यवस्था में स्कूलों में शौचालयों की साफ-सफाई, पानी की उपलब्धता, सप्लाई, सीटों की स्थिति, दरवाजे और ताले कार्यशील हैं या नहीं—इन सभी बिंदुओं को संबलन ऐप पर दर्ज किया जाएगा। यदि इन सुविधाओं से जुड़ी कोई समस्या रिपोर्ट नहीं की जाती या टिकट जनरेट नहीं होता है, तो उसे भी रैंकिंग में गिना जाएगा। इससे साफ है कि अब केवल रिकॉर्ड नहीं, बल्कि स्कूलों की वास्तविक स्थिति ही जिले की रैंकिंग तय करेगी।
शिक्षा विभाग के अनुसार, यह नई जिला रैंकिंग प्रणाली स्कूल शिक्षा में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।


