केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार नीति में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त कर उसकी जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन–ग्रामीण’ (VB-G RAM-G) लाने का प्रस्ताव संसद में पेश किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह नया कानून बदलते ग्रामीण हालात और विकसित भारत-2047 के लक्ष्य के अनुरूप तैयार किया गया है।
क्या है VB-G RAM-G योजना
नए प्रस्तावित कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 की जगह 125 दिन का रोजगार देने की कानूनी गारंटी होगी। इसके साथ ही मजदूरी भुगतान प्रणाली, कार्य-योजना और फंडिंग पैटर्न में भी बड़े बदलाव किए गए हैं।
लोकसभा की पूरक कार्यसूची के अनुसार, शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह में इस विधेयक को पेश किया जाना है और इसकी प्रतियां सांसदों को वितरित की जा चुकी हैं।
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मनरेगा और VB-G RAM-G में क्या होगा बड़ा फर्क
रोजगार के दिन
मनरेगा में 100 दिन की गारंटी थी, जबकि नए कानून में यह बढ़ाकर 125 दिन की जा रही है।
मजदूरी भुगतान
जहां मनरेगा में मजदूरी का भुगतान 15 दिनों के भीतर किया जाता था, वहीं नए कानून में इसे घटाकर 7 दिन किया जाएगा। अधिकतम सीमा 15 दिन रखी जाएगी।
फसल के समय विशेष ब्रेक
VB-G RAM-G में बुआई और कटाई के समय लगभग दो महीने का ब्रेक प्रस्तावित है, जिससे श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और फर्जी मस्टर रोल पर रोक लगाने का दावा किया गया है।
फंडिंग पैटर्न में बदलाव
मनरेगा में मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र वहन करता था, जबकि नई योजना में कुल खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य उठाएंगे। उत्तर-पूर्वी और पर्वतीय राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 रहेगा।
सरकार क्यों ला रही है नया कानून
सरकार का कहना है कि पिछले 20 वर्षों में मनरेगा ने ग्रामीण रोजगार में अहम भूमिका निभाई, लेकिन अब गांवों की आर्थिक संरचना, कार्य-प्रकृति और तकनीकी जरूरतें बदल चुकी हैं। डिजिटल निगरानी, जल-संरक्षण आधारित कार्य और पंचायतों की मजबूत भूमिका के लिए नया ढांचा जरूरी हो गया था।
नए कानून के तहत प्रस्तावित प्रमुख लाभ
ग्रामीण परिवारों को 125 दिन का वेतनयुक्त अकुशल रोजगार
फसल सीजन ब्रेक से पारदर्शिता और कार्य-गुणवत्ता में सुधार
पंचायतों को योजना निर्माण में केंद्रीय भूमिका
पीएम गति शक्ति जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से योजनाओं का एकीकरण
जल संरक्षण और ग्रामीण परिसंपत्तियों पर विशेष फोकस
ग्रामीण आय और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
राज्यों पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ?
नए फंडिंग पैटर्न को लेकर राज्यों की नाराजगी सामने आने लगी है। मनरेगा की तुलना में राज्य सरकारों पर 40 प्रतिशत खर्च का भार डालने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। एनडीए में शामिल कुछ दलों ने भी इसे राज्यों के लिए अतिरिक्त वित्तीय दबाव बताया है।
विरोध के सुर भी तेज
मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे का कहना है कि यह कदम काम के कानूनी अधिकार को कमजोर करता है और अधिकार-आधारित ढांचे को खत्म कर आवंटन-आधारित व्यवस्था की ओर ले जाता है।
वहीं कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे महात्मा गांधी के विचारों पर हमला बताते हुए योजना का नाम बदलने का कड़ा विरोध किया है।
2015 में क्या बोले थे प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में संसद में मनरेगा को यूपीए सरकार की विफलताओं का प्रतीक बताते हुए कहा था कि उनकी सरकार इस योजना में जरूरी सुधार करेगी। अब करीब एक दशक बाद, उसी वादे के तहत ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में व्यापक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है।
आगे क्या?
VB-G RAM-G विधेयक संसद में पारित होता है या नहीं, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। लेकिन इतना तय है कि यदि यह कानून लागू हुआ, तो भारत की ग्रामीण रोजगार नीति का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा।


