राजस्थान में विधायक निधि जारी करने के बदले कथित रूप से कमीशन मांगने के मामले ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। इस प्रकरण को गंभीर मानते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जांच विधानसभा की सदाचार समिति को सौंप दी है। उन्होंने समिति से शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, ताकि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा सके।
विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विधायक निधि में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि यह लोकतंत्र की गरिमा और जनविश्वास के भी खिलाफ है। उन्होंने चिंता जताई कि ऐसे मामलों से जनता के मन में अविश्वास पैदा होता है, जो स्वच्छ लोकतांत्रिक व्यवस्था और राजस्थान की छवि के लिए नुकसानदेह है।
इससे पहले राज्य सरकार ने आरोपों में घिरे विधायकों के विधायक कोष पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने खींवसर से विधायक रेवतराम डांगा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जबकि कांग्रेस ने हिंडौन से विधायक अनिता जाटव को नोटिस थमाया है। इसके अलावा भरतपुर जिले की बयाना सीट से निर्दलीय विधायक रितु बनावत भी जांच के दायरे में हैं।
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सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर भी जांच को आगे बढ़ाते हुए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। इस समिति की अध्यक्षता राज्य के मुख्य सतर्कता आयुक्त करेंगे, जबकि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भी सदस्य बनाया गया है। यह समिति पूरे मामले की तथ्यात्मक जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि विधायक निधि में भ्रष्टाचार की खबर बेहद गंभीर है और राज्य सरकार की नीति भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की है। उन्होंने साफ किया कि दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर संबंधित विधायकों के निधि खाते फ्रीज किए गए हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने अपने बयान में कहा कि विधायक कोष से जुड़े रिश्वत के आरोप पार्टी अनुशासन का उल्लंघन हैं और इन पर स्पष्टीकरण देना अनिवार्य है। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मामले में उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग की है। डोटासरा ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सेवा के लिए चुना जाता है, न कि सौदेबाजी और लूट के लिए।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस प्रकरण को लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर प्रहार बताया है। उन्होंने आरोपित विधायकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारी की मांग की है। बेनीवाल ने यह भी कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों को अपने-अपने आरोपित विधायकों को पार्टी से बर्खास्त करना चाहिए, ताकि जनता का राजनीतिक व्यवस्था पर भरोसा बना रह सके।
कुल मिलाकर, विधायक निधि घोटाले ने प्रदेश की राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब सभी की नजरें विधानसभा की सदाचार समिति और राज्य सरकार की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि आगे किस तरह की कार्रवाई की जाती है।


