जयपुर रेलवे स्टेशन पर तकनीक के दुरुपयोग का एक गंभीर मामला सामने आया है। राजस्थान में पहली बार एआई आधारित टूल का इस्तेमाल कर रेल टिकट में छेड़छाड़ करने का मामला पकड़ा गया है। इस घटना में सात यात्रियों ने डिजिटल तरीके से एक साधारण टिकट को बहु-यात्री टिकट के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की, लेकिन रेलवे जांच दल की सतर्कता से पूरा मामला उजागर हो गया।
कैसे हुआ खुलासा
घटना रविवार तड़के करीब तीन बजे की है, जब स्वर्ण नगरी एक्सप्रेस जैसलमेर से जयपुर पहुंची। नियमित जांच के दौरान टिकट चेकिंग स्टाफ ने यात्रियों से टिकट दिखाने को कहा। सातों यात्रियों ने अपने मोबाइल फोन पर यूटीएस ऐप से खरीदे गए टिकट की फोटो दिखाई। यात्रियों का दावा था कि मूल टिकट उनके एक साथी के पास था, जो रास्ते में उतर चुका है।
टिकट में सभी सात यात्रियों का विवरण दर्ज दिखाया गया, जिससे चेकिंग स्टाफ को संदेह हुआ। कारण यह था कि यूटीएस से जारी अनारक्षित टिकट अधिकतम चार यात्रियों के लिए ही मान्य होता है।
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एआई टूल से किया गया डिजिटल बदलाव
संदेह के आधार पर जब गहन पूछताछ की गई तो यात्रियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने एक ऑनलाइन एआई टूल की मदद से टिकट की फोटो में बदलाव किया है। उन्होंने मूल टिकट की तस्वीर लेकर उसमें यात्रियों की संख्या और कुल राशि को एडिट कर दिया था।
रेलवे अधिकारियों ने पुष्टि के लिए जैसलमेर स्टेशन से टिकट का रिकॉर्ड मंगवाया। जांच में सामने आया कि असली यूटीएस टिकट केवल एक यात्री के नाम पर जारी हुआ था, जिसकी कीमत 215 रुपये थी। जबकि एडिट की गई फोटो में इसे सात यात्रियों का टिकट दिखाया गया और किराया 1505 रुपये दर्शाया गया था।
रेलवे की कार्रवाई और जुर्माना
मामला स्पष्ट होते ही रेलवे प्रशासन ने सातों यात्रियों को दोषी मानते हुए संयुक्त रूप से 2790 रुपये का जुर्माना वसूला। साथ ही भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी न करने की सख्त हिदायत दी गई।
रेलवे प्रशासन की सख्त चेतावनी
रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि एआई या किसी भी डिजिटल माध्यम से टिकट में छेड़छाड़ करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में न केवल भारी जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे केवल वैध और सही टिकट के साथ ही यात्रा करें। तकनीक का गलत इस्तेमाल करने पर सख्त दंड भुगतना पड़ सकता है।


