बाड़मेर जिले के एक युवा नवप्रवर्तक ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के डिजिटल एड्रेस सिस्टम की सोच को नई दिशा दे दी है। कोरोना काल की बंदिशों के बीच उपजे एक विचार ने आज “भारत पिन” के रूप में आकार ले लिया है। यह ऐसा डिजिटल एड्रेस सिस्टम है, जो किसी भी स्थान को मात्र 1 मीटर की सटीकता के साथ पहचानने में सक्षम है। इस तकनीक का श्रेय बाड़मेर के दीपक शारदा को जाता है, जिन्हें हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में देश के नंबर वन आइडिया के रूप में सम्मानित किया।
कोरोना महामारी के दौरान, जब पूरा देश घरों तक सीमित था और हर जरूरत ऑनलाइन डिलीवरी पर निर्भर हो गई थी, तभी दीपक शारदा के मन में एक सवाल उठा। उन्होंने महसूस किया कि भारत जैसे विशाल देश में अब भी एक统一 और सटीक डिजिटल पता प्रणाली मौजूद नहीं है। सामान पहुंचाने से लेकर सरकारी सेवाओं तक, गलत या अधूरे पतों के कारण समय और संसाधनों की भारी बर्बादी हो रही थी। इसी समस्या ने उन्हें समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया।
कनाडा से पढ़ाई पूरी कर चुके दीपक इंटरनेट और डिजिटल सिस्टम की गहरी समझ रखते हैं। भारत लौटने के बाद उन्होंने स्टार्टअप के जरिए देश के लिए कुछ नया करने का निर्णय लिया। आधार और यूपीआई जैसे मजबूत डिजिटल ढांचे के बावजूद, उन्होंने महसूस किया कि डिजिटल एड्रेसिंग की कड़ी अब भी गायब है। इसी खाली जगह को भरने के लिए उन्होंने भारत पिन और भारत मैप की अवधारणा पर काम शुरू किया।
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जब दीपक अपने इस विचार को लेकर पिछले वर्ष दिल्ली में भारत सरकार के एक नवाचार कार्यक्रम में पहुंचे, तो वहां मौजूद विशेषज्ञ और अधिकारी हैरान रह गए। उनके आइडिया को देश में सर्वश्रेष्ठ माना गया और उन्हें पुरस्कार के साथ एक लाख रुपये की नकद राशि देकर सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन से प्रेरित दीपक अब इस तकनीक को पूरी तरह देश और राज्यों को समर्पित करना चाहते हैं।
भारत पिन दरअसल एक नया डिजिटल एड्रेस सिस्टम है, जिसमें यूपिन और पीपिन नाम के दो हिस्से होते हैं। इन दोनों के संयोजन से किसी भी स्थान का सटीक डिजिटल पता तैयार होता है। यह केवल सात अक्षरों या अंकों का आसान कोड होता है, जैसे JPA-2457। इस कोड में पहला अक्षर जिले की पहचान करता है, दूसरा स्थानीय क्षेत्र या तहसील का संकेत देता है। सड़कों के मोड़, तिराहे, चौराहे, गली के कटाव, सड़क के आरंभ और अंत बिंदुओं पर यूपिन निर्धारित किया जाएगा। खास बात यह है कि हर चार घर के बाद नया यूपिन तय होगा, जिससे लोकेशन की सटीकता 1 मीटर तक पहुंच जाती है।
इस सिस्टम के जरिए पूरे देश को एक ही डिजिटल एड्रेस प्लेटफॉर्म पर लाने की योजना है। विशेषज्ञों का मानना है कि गलत पतों के कारण देश की जीडीपी को होने वाला करीब 0.5 प्रतिशत का नुकसान इससे रोका जा सकता है। सरकारी योजनाओं की ट्रैकिंग, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की सही डिलीवरी, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और असंगठित क्षेत्र में डेटा संग्रह जैसे कई क्षेत्रों में यह प्रणाली बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। चुनाव आयोग से लेकर किसान, छात्र और आम नागरिक तक, सभी को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना है।
दीपक शारदा का कहना है कि उन्होंने इस विचार पर कोरोना काल से लगातार मेहनत की है। उनका लक्ष्य किसी निजी लाभ से अधिक देशहित है। उनका मानना है कि आधार और यूपीआई के बाद डिजिटल पते के रूप में यूपिन वह कड़ी बन सकता है, जो भारत के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरी मजबूती देगा। सीमांत जिले बाड़मेर से निकली यह पहल अब भारत के डिजिटल स्टार्टअप इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में देखी जा रही है।


