कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर का नाम वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव पुरस्कार 2025 के लिए सामने आने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। थरूर ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्हें इस नामांकन की कोई पूर्व सूचना नहीं थी और यह निर्णय उनकी सहमति के बिना लिया गया।
थरूर को कैसे मिली जानकारी
थरूर के अनुसार वे केरल में स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान वोट डालने गए थे, तभी मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से उन्हें पहली बार पता चला कि वे इस पुरस्कार के लिए चुने गए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्हें आयोजकों की ओर से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली थी।
थरूर की नाराजगी और साफ रुख
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा निर्णय लेने से पहले आयोजकों को उनसे अनुमति लेनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि पुरस्कार, इसे देने वाले संगठन और आयोजन के उद्देश्य से जुड़ी जानकारी उपलब्ध न होने के कारण वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे और न ही पुरस्कार स्वीकार करेंगे। बाद में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए यही रुख दोहराया।
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कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया
थरूर के नाम सामने आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार को स्वीकार करना कांग्रेस पार्टी के मूल्यों के खिलाफ होगा। उनके अनुसार, सावरकर को लेकर भाजपा और दक्षिणपंथी दल जिस दृष्टि से देखते हैं, कांग्रेस उससे सहमत नहीं है। ऐसे में यह अवॉर्ड लेना कांग्रेस के लिए शर्मनाक कदम माना जाएगा।
कार्यक्रम का विवरण
दिल्ली स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन हॉल में होने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। समारोह में उन व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने राष्ट्रीय विकास, सामाजिक सुधार और मानवीय सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
कौन देता है यह पुरस्कार
वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव पुरस्कार 2025 की स्थापना हाई रेंज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (HRDS India) नामक गैर सरकारी संगठन द्वारा की गई है। संगठन ने पहले पुरस्कार के लिए शशि थरूर का नाम प्रस्तावित किया था, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।


