जयपुर। अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने 5 दिसंबर 2025 को एक गंभीर चेतावनी जारी की है। इसमें बताया गया है कि साइबर अपराधी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर “वर्चुअल किडनैपिंग” स्कैम चला रहे हैं। अपराधी सोशल मीडिया से चुराई गई तस्वीरों को AI की मदद से एडिट कर परिवार को “प्रूफ ऑफ लाइफ” भेजते हैं। इससे पीड़ित परिवार घबराकर बड़ी रकम, अक्सर क्रिप्टोकरेंसी या गिफ्ट कार्ड्स के रूप में, स्कैमर को भेज देते हैं। असली अपहरण नहीं होता, लेकिन डर और पैनिक का फायदा उठाकर स्कैमर धन ऐंठ लेते हैं। FBI के अनुसार, 2025 में सिर्फ अमेरिका में ही इस तरह के स्कैम से करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है।
स्कैम कैसे काम करता है
स्कैमर सबसे पहले टेक्स्ट या व्हाट्सऐप के जरिए संपर्क करते हैं। संदेश में कहा जाता है, “आपका बच्चा/रिश्तेदार हमारे कब्जे में है, तुरंत पैसे भेजें।” इसके बाद वे AI-जनरेटेड डीपफेक वीडियो या फोटो भेजते हैं, जिसमें बच्चे या रिश्तेदार डर, चोट या बंधक जैसी स्थिति में दिखते हैं। ये इमेज इतनी वास्तविक लगती हैं कि परिवार वाले बिना जांच के पैसे भेज देते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ध्यान से देखने पर AI इमेज में गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है, जैसे टैटू या शरीर के अनुपात में असमानता, लाइटिंग में असामान्यता आदि।
भारत और राजस्थान की स्थिति
भारत में 2025 में AI-बेस्ड किडनैपिंग और वॉइस क्लोनिंग स्कैम्स में 50% से अधिक वृद्धि हुई है। राजस्थान में भी कई शिकायतें दर्ज हुई हैं, खासकर जयपुर और जोधपुर में। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाके अधिक संवेदनशील हैं, क्योंकि लोग सोशल मीडिया पर परिवार और व्यक्तिगत फोटोज सार्वजनिक रूप से शेयर करते हैं। इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने भी इस संबंध में अलर्ट जारी किया है।
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खुद को सुरक्षित रखने के उपाय
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फैमिली कोड वर्ड: आपातकाल में केवल यह कोड वर्ड ही प्रूफ होगा।
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डायरेक्ट संपर्क: पैसे भेजने से पहले रिश्तेदार या बच्चा से कॉल करके पुष्टि करें।
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सोशल मीडिया प्राइवेसी: फोटोज और वीडियो प्राइवेट रखें, यात्रा के समय व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
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इमेज जांच: टैटू, स्कार्स, बॉडी शेप और लाइटिंग की असमानताएं देखें।
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रिपोर्टिंग: cybercrime.gov.in या 1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करें और स्क्रीनशॉट्स सुरक्षित रखें।
आगे का खतरा
एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि 2026 तक AI-आधारित स्कैम्स दोगुने हो सकते हैं, क्योंकि कई AI टूल्स मुफ्त उपलब्ध हैं। भारत सरकार CERT-In के माध्यम से डीपफेक डिटेक्शन सॉफ्टवेयर विकसित कर रही है, लेकिन जागरूकता सबसे बड़ा बचाव है। परिवार और दोस्तों से कॉल करके पुष्टि करना ही लाखों रुपये बचाने का सबसे भरोसेमंद तरीका है।


