सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी: राज्यों में एसआईआर में बाधा बर्दाश्त नहीं
विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के काम में हस्तक्षेप और बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) को धमकाने की रिपोर्टों पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि किसी राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन की ओर से सहयोग नहीं दिया जा रहा है या अधिकारी भयभीत किए जा रहे हैं, तो चुनाव आयोग ऐसे मामलों को तुरंत उसके संज्ञान में लाए। अदालत ने संकेत दिया कि आवश्यकता पड़ने पर वह कठोर आदेश पारित करने से पीछे नहीं हटेगी।
अदालत की चेतावनी: स्थिति बिगड़ी तो पुलिस तैनाती ही विकल्प
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि यदि हालात और अधिक बिगड़ते हैं, तो मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनाती अनिवार्य हो सकती है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि एसआईआर कार्य में बाधा और अधिकारियों को डराने-धमकाने की घटनाएं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अस्थिर कर सकती हैं।
चुनाव आयोग ने जवाब में कहा कि उसके पास संवैधानिक रूप से पर्याप्त अधिकार मौजूद हैं और वह अपने अधिकारियों की सुरक्षा तथा प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि आयोग किसी भी प्रकार की दबावकारी स्थिति को तुरंत नियंत्रित करे, अन्यथा यह प्रशासनिक अराजकता का रूप ले सकती है।
पश्चिम बंगाल में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए पांच IAS अधिकारी नियुक्त
इसी बीच चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया को मजबूत और पारदर्शी बनाने के लिए पांच वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को स्पेशल रोल ऑब्जर्वर (SRO) के रूप में नियुक्त किया है।
इन अधिकारियों में रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव कुमार रवि कांत सिंह को प्रेसिडेंसी संभाग, गृह मंत्रालय के नीरज कुमार बांसोद को मेदिनीपुर संभाग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कृष्ण कुमार निराला को बर्दवान संभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के एक अधिकारी के अनुसार, इन एसआरओ की तैनाती से राज्य के सभी संभागों में एसआईआर कार्य की निगरानी और सत्यापन विशेष रूप से सुदृढ़ होगा।
राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण 4 नवंबर से चल रहा है, जबकि अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जानी है।


