लोकसभा के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर चर्चा की शुरुआत की। अपने संबोधन में उन्होंने न केवल इस गीत के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया, बल्कि कांग्रेस पर तीखी टिप्पणी भी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने इतिहास के कई निर्णायक क्षणों पर ऐसा रुख अपनाया, जिसने राष्ट्रीय भावनाओं को आहत किया।
जिन्ना के प्रभाव का आरोप
पीएम मोदी ने कहा कि 1937 में कांग्रेस ने मुहम्मद अली जिन्ना के दबाव में आकर वंदे मातरम् को विभाजित कर दिया। उनके अनुसार, इस फैसले ने तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया और राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। प्रधानमंत्री का आरोप था कि उस दौर में जिन्ना ने सार्वजनिक तौर पर इस गीत का विरोध किया था और कांग्रेस ने इसी दबाव में इसके केवल दो छंदों को स्वीकार करने का निर्णय लिया।
गांधी के विचारों की अनदेखी
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि महात्मा गांधी स्वयं वंदे मातरम् को उच्च दर्जा देते थे और इसे राष्ट्रीय गान के समान सम्मान देने की बात कहते थे। इसके बावजूद कांग्रेस ने गांधी की राय की अनदेखी करते हुए जिन्ना की आपत्तियों को प्राथमिकता दी।
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नेहरू–बोस पत्र का संदर्भ
पीएम मोदी ने जवाहरलाल नेहरू द्वारा सुभाष चंद्र बोस को लिखे गए एक पत्र का उल्लेख किया। इस पत्र में नेहरू ने आशंका जताई थी कि ‘आनंदमठ’ की पृष्ठभूमि मुस्लिम समुदाय में असहजता पैदा कर सकती है। प्रधानमंत्री के अनुसार, कांग्रेस ने इस प्रकार की चिंताओं को आधार बनाकर उस समय समझौता किया, जिसे उन्होंने विश्वासघात और विभाजन की शुरुआत बताया।
वर्तमान राजनीति पर टिप्पणी
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की नीतियों में आज भी कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता। उनके अनुसार, कांग्रेस और उसके सहयोगी दल आज भी वंदे मातरम् के मुद्दे पर विवाद पैदा करते हैं और वही रुख अपनाते हैं जो दशकों पहले देखा गया था।


