भारत में रेयर अर्थ मटेरियल की खोज को लेकर एक और महत्वपूर्ण सफलता सामने आई है। कर्नाटक के माइंस और जियोलॉजी विभाग ने राज्यभर में संभावित खनिज स्थलों की पहचान तेज कर दी है। विभाग अब लगभग 65 लोकेशनों पर रेयर अर्थ मिनरल्स और सोने की संभावनाओं की जांच कर रहा है। इसी दौरान कोप्पल और रायचूर जिलों में बड़े पैमाने पर सोना और लिथियम मिलने की पुष्टि हुई है, लेकिन दोनों क्षेत्र संरक्षित वन सीमा में आते हैं, जिसके कारण विस्तृत शोध और खनन की प्रक्रिया अटक गई है।
कोप्पल और रायचूर में बड़ी खोज
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोप्पल के अमरापुर ब्लॉक में प्रति टन 12 से 14 ग्राम तक सोना मिलने की संभावना बताई गई है। आम तौर पर माइनिंग अध्ययन में 2 से 3 ग्राम प्रति टन का औसत मिलता है, जबकि हुट्टी गोल्ड माइंस में यह लगभग 2 से 2.5 ग्राम है। इतने उच्च ग्रेड के सोने की पहचान से इन क्षेत्रों के महत्व में और बढ़ोतरी हुई है।
इसी तरह रायचूर के अमरेश्वर इलाके में लिथियम का प्रारंभिक डिपॉजिट मिला है, जो देश में जम्मू-कश्मीर के बाद दूसरा बड़ा संकेत माना जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने पर कर्नाटक देश का पहला राज्य हो सकता है जहाँ लिथियम का वाणिज्यिक उत्खनन शुरू होगा।
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अनुमति की प्रतीक्षा और बढ़ता खतरा
अधिकारी के अनुसार, सभी कानूनी प्रक्रियाओं के लिए आवेदन कर दिया गया है, लेकिन संरक्षित वन क्षेत्र होने के कारण मंजूरी में समय लग रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि ग्राउंड स्टाफ को उन लोगों से लगातार खतरा है जो अवैध रूप से खनिजों को निकालने या सर्वे रोकने का प्रयास कर रहे हैं। विभाग इससे चिंतित है और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे रहा है।
खोज में चार-स्तरीय प्रक्रिया
खनिजों की पहचान और अध्ययन चार चरणों में पूरे होते हैं। पहले दो चरणों में टोही सर्वे, पिटिंग और फेंसिंग शामिल रहती है। अगले चरणों में 500 मीटर तक ड्रिलिंग और प्राथमिक माइनिंग की जाती है। कोप्पल और रायचूर में शुरुआती दो चरण पूरे हो चुके हैं, लेकिन ड्रिलिंग का कार्य शुरू नहीं किया जा सका है।
फॉरेस्ट विभाग का रुख
फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उन पर कई प्रस्तावों के लिए अनुमति देने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। लिथियम खनन का प्रस्ताव लिंगसुगुर रिजर्व फॉरेस्ट में है और सोने की खोज अमरापुर रिजर्व फॉरेस्ट पैच में। अधिकारियों का कहना है कि संरक्षित और वर्जिन फॉरेस्ट क्षेत्रों को खनन के लिए खोलने का निर्णय बेहद संवेदनशील है क्योंकि ये क्षेत्र महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संपदा हैं।
कई कीमती धातुओं की खोज जारी
माइंस एंड जियोलॉजी विभाग 57 स्थानों पर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आठ जगहों पर निजी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। जिन तत्वों की खोज की जा रही है, उनमें प्लैटिनम ग्रुप मेटल्स, बॉक्साइट, कॉपर, कोबाल्ट, निकल, टंगस्टन, यूरेनियम, वैनेडियम, डायमंड और कई रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं।
कर्नाटक में मिले नए डिपॉजिट से भारत की मिनरल इकोनॉमी को नई दिशा मिल सकती है, लेकिन पर्यावरण सुरक्षा और कानूनी बाधाएं इस खोज को एक चुनौतीपूर्ण चरण में ले आई हैं।


