राजस्थान में पंचायत समितियों और नगर निकायों के कार्यकाल के लगातार समाप्त होने के बावजूद चुनाव को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। कई जिलों, विशेषकर बीकानेर में, एक साल से अधिक समय से स्थानीय निकाय चुनाव लंबित हैं, जिसके चलते प्रशासनिक कामकाज अंतरिम व्यवस्था के सहारे चल रहा है।
सरपंच बने प्रशासक, लेकिन पंचायत समितियों में बदलाव
ग्राम पंचायतों में कार्यकाल पूरा होने पर सरकार ने मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया था। हालांकि पंचायत समितियों के स्तर पर यह व्यवस्था बदल दी गई है। अब प्रधानों की जगह संबंधित उपखंड अधिकारी (एसडीएम) प्रशासक की भूमिका निभाएंगे। जिला परिषदों में जिला प्रमुखों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जिला कलेक्टर को प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
11 दिसंबर तक नियुक्त होंगे नए प्रशासक
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा जारी आदेशों के अनुसार, 11 दिसंबर तक जिन पंचायत समितियों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, वहां एसडीएम को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाएगा। इस महीने राज्य में कुल 222 पंचायत समितियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ये समितियां उदयपुर, टोंक, सीकर, राजसमंद सहित 21 जिलों में फैली हुई हैं।
- Advertisement -
बड़े शहरों में भी अंतरिम व्यवस्था लागू
पिछले महीने जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगमों के कार्यकाल समाप्त होने पर राज्य सरकार ने वहां संभागीय आयुक्तों को प्रशासक नियुक्त किया था। इससे यह साफ है कि चुनाव की तारीखों के अभाव में सरकार प्रशासनिक नियंत्रण को ही आगे बढ़ा रही है।
21 जिला परिषदों में कलेक्टरों को मिली कमान
जिन जिलों में कार्यकाल पूरा हो चुका है और नई जनप्रतिनिधि इकाइयाँ अस्तित्व में नहीं आई हैं, वहां जिला कलेक्टर अस्थायी रूप से प्रमुख का कार्यभार देखेंगे। इनमें शामिल जिले हैं:
जैसलमेर, उदयपुर, बाड़मेर, अजमेर, पाली, भीलवाड़ा, राजसमंद, नागौर, बांसवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, प्रतापगढ़, सीकर और टोंक।
चुनाव की सुगबुगाहट अभी भी नहीं
स्थानीय निकायों और पंचायत समितियों में प्रशासनिक नियुक्तियाँ लगातार बढ़ाई जा रही हैं, लेकिन चुनाव कार्यक्रम को लेकर न सरकार और न ही चुनाव आयोग की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने आया है। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है।


