बिहार के बक्सर जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने ग्रामीणों से लेकर बैंक अधिकारियों तक सभी को चकित कर दिया। सिमरी प्रखंड के बड़का राजपुर गांव के रहने वाले मजदूर और हलवाई के सहायक जितेंद्र साह के खाते में अचानक 600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दिखाई देने लगी। कुछ मिनटों के लिए वह अरबपति की स्थिति में पहुंच गया, लेकिन जल्द ही पूरा मामला संदिग्ध मानते हुए बैंक ने खाता फ्रीज कर दिया और जांच शुरू हो गई।
478 रुपये से सीधे 600 करोड़ का बैलेंस
जितेंद्र साह आम दिनों की तरह गांव के फिनो बैंक ग्राहक सेवा केंद्र पर 200 रुपये निकालने पहुंचे थे। उन्हें उम्मीद थी कि उनके खाते में पहले की तरह कुछ सौ रुपये ही होंगे। लेकिन बैलेंस चेक करने पर मशीन पर जो आंकड़ा दिखा, उसने वहां मौजूद सभी लोगों को हैरत में डाल दिया। खाते में 6 अरब रुपये से भी अधिक की राशि दर्ज दिख रही थी।
पहले सभी को लगा कि मशीन में कोई खराबी है, लेकिन दोबारा और फिर तीसरी बार जांच करने पर भी वही आंकड़ा सामने आया। CSP संचालक ने तुरंत बैंक अधिकारियों को इसकी जानकारी दी और खाते को फ्रीज कर दिया।
- Advertisement -
गरीबी में जीने वाला मजदूर, अचानक दिखा अरबों का बैलेंस
जितेंद्र की आर्थिक स्थिति बेहद साधारण है। गांव में एक हलवाई की दुकान पर वह हेल्पर का काम करता है और कभी-कभी दिहाड़ी मजदूरी भी करता है। रोजाना की कमाई 300 से 500 रुपये के बीच होती है। उसकी पत्नी छोटी-सी दुकान पर बिस्कुट और नमकीन बेचती है, जिससे मुश्किल से 100–150 रुपये की आय होती है।
ऐसे परिवार के खाते में जब अरबों रुपये दिखे, तो जितेंद्र घबरा गया। उसने बताया कि इतनी बड़ी रकम देखकर उसे सबसे पहले यही डर लगा कि कहीं वह किसी मुश्किल में न फंस जाए।
गांव में चर्चा, भीड़ और डर का माहौल
घटना जैसे ही गांव में फैली, लोग जितेंद्र के घर पहुंचने लगे। कोई इसे चमत्कार बता रहा था, तो कोई पूरी घटना को साइबर ठगी का संकेत मान रहा था। परिवार को आशंका होने लगी कि कहीं अनजाने में वे किसी बड़े मामले में न फंस जाएं।
इसी डर से जितेंद्र खुद थाने पहुंचा और पूरी बात पुलिस को बताई।
पुलिस और बैंक ने शुरू की जांच
स्थानीय थानाध्यक्ष के अनुसार, यह मामला तकनीकी गड़बड़ी या साइबर से जुड़े किसी अनियमित लेन-देन का हो सकता है। खाताधारक के दस्तावेजों की जांच साइबर सेल को सौंप दी गई है। बैंक भी यह पता लगाने में जुटा है कि इतनी बड़ी राशि का बैलेंस अचानक कैसे दिखने लगा।
यह भी जांच की जा रही है कि कहीं किसी गिरोह ने काले धन को छिपाने या घुमाने के लिए किसी गरीब व्यक्ति के खाते का इस्तेमाल तो नहीं किया।
सिर्फ 10–15 मिनट का ‘अरबपति’
खाता फ्रीज होने से पहले जितेंद्र करीब 10–15 मिनट तक अरबों रुपये का मालिक दिखाई दे रहा था। लेकिन बैंक की कार्रवाई के बाद उसकी स्थिति पहले जैसी ही हो गई। घर लौटने पर उसे वही टूटी दीवारें, पुराना चूल्हा और रोज की मेहनत-मजदूरी वाली जिंदगी ही मिली।
जांच रिपोर्ट का इंतजार
फिलहाल बैंक, साइबर विशेषज्ञ और पुलिस मिलकर पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। यह साफ करने में समय लगेगा कि यह तकनीकी त्रुटि थी या किसी बड़े साइबर नेटवर्क की चाल। गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक यह घटना चर्चा का केंद्र बनी हुई है।


