राजस्थान ने शिक्षा गुणवत्ता में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए देश की राष्ट्रीय रैंकिंग में तेरहवें स्थान से सीधे तीसरे स्थान तक का सफर तय किया है। राज्य में पिछले दो वर्षों के दौरान लागू किए गए शैक्षणिक सुधारों और नवाचारों ने शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा दी है। इस उपलब्धि ने सरकार की शिक्षा सुधार संबंधी नीतियों और प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है।
मदन दिलावर ने शिक्षा में मानवीय मूल्यों के महत्व पर दिया जोर
शिक्षा एवं पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर ने टोंक स्थित एक निजी रिसोर्ट में आयोजित पीएम श्री विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की तीन दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल पाठ्य पुस्तकों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। उनके अनुसार शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य बच्चों में चरित्र निर्माण, मानवीय संवेदनाओं और व्यावहारिक ज्ञान का विकास करना है।
मंत्री ने कहा कि यदि बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों की सही समझ दी जाए, तो वे जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक आत्मविश्वास और संतुलन के साथ कर पाएंगे। उन्होंने शिक्षकों से अपेक्षा व्यक्त की कि वे विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए नवीन शिक्षण तरीकों को अपनाएं और उन्हें ऐसे वातावरण का निर्माण करें जिससे बच्चे किसी भी स्तर पर पीछे न रहें।
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राजस्थान की शिक्षा प्रणाली में दो वर्षों में आए सकारात्मक बदलाव
मदन दिलावर ने बताया कि राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में शिक्षा मॉडल को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे शिक्षण गुणवत्ता और सीखने के परिणामों में सुधार हुआ है। राज्य ने जहां पहले देश की शिक्षा रैंकिंग में 12वां स्थान प्राप्त किया था, वहीं अब यह तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यह बदलाव राज्य की नीतिगत गंभीरता और स्कूल शिक्षा में निरंतर किए गए सुधारों का परिणाम है।
कार्यशाला में मानवीय मूल्यों की भूमिका पर विशेष सत्र
इस कार्यशाला में शिक्षकों को बताया जाएगा कि वर्तमान सामाजिक चुनौतियों का समाधान मानवीय मूल्यों की स्थापना से ही संभव है। मंत्री ने कहा कि प्रेम, करुणा, सत्यनिष्ठा, अहिंसा और जिम्मेदारी जैसे गुण न केवल बच्चों के व्यक्तित्व को मजबूत बनाते हैं, बल्कि उन्हें समाज और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी बनाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता आज की शिक्षा व्यवस्था का अनिवार्य आधार बन चुकी है।


