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राजस्थान

राजस्थान का इनलैंड पोर्ट प्रोजेक्ट: सर्वे ने पर्यावरण पर गंभीर खतरे का संकेत दिया

editor
editor Published December 7, 2025
Last updated: 2025/12/07 at 2:30 PM
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राजस्थान को अरब सागर से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना—नेशनल वाटरवे-48—पर ताज़ा सर्वे रिपोर्ट ने गंभीर पर्यावरणीय संकट की आशंका जताई है। गुजरात के कोटेश्वर समुद्री मुहाने से शुरू होकर कच्छ के रण, लूणी नदी और जवाई नदी के रास्ते 615 किलोमीटर से अधिक लंबे इस प्रस्तावित जलमार्ग के लिए किए गए हाइड्रोग्राफिक अध्ययन में कई संवेदनशील बिंदुओं का खुलासा हुआ है। यह जलमार्ग जालोर जिले के संकरना पुल तक पहुंचने की कल्पना के साथ तैयार किया गया है, जो बालोतरा, समदड़ी, सिणधरी, सिवाना, जसवंतपुरा, सांचौर, बागोड़ा और भीनमाल जैसे क्षेत्रों को सीधे प्रभावित करेगा।

Contents
औद्योगिक अपशिष्ट से बढ़ सकता है पानी और मिट्टी का संकटखारा पानी रेगिस्तान में पहुंचने का खतराअंतरराष्ट्रीय महत्व के पारिस्थितिक क्षेत्रों पर दबावरेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर चुनौतीनिष्कर्ष

औद्योगिक अपशिष्ट से बढ़ सकता है पानी और मिट्टी का संकट

लूणी नदी पहले से ही टेक्सटाइल और रासायनिक इकाइयों के प्रदूषण के कारण गंभीर रूप से प्रभावित है। सर्वे रिपोर्ट का कहना है कि जलमार्ग बनने पर औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिससे नदी और भूजल पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा। खारेपन का रिसाव तेज होने पर बालोतरा-जालोर क्षेत्र में पेयजल उपलब्धता और खराब हो सकती है, जबकि सिंचाई के संसाधनों पर भी भारी असर पड़ेगा।

खारा पानी रेगिस्तान में पहुंचने का खतरा

विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के खारे पानी का रेगिस्तानी इलाकों में प्रवेश भूजल को अप्रयुक्त कर सकता है। भले ही राजस्थान में एनडब्ल्यू-48 का हिस्सा केवल 11 किलोमीटर है, परंतु इसका असर पूरे लूणी-जवाई कैचमेंट पर पड़ेगा। खारी मिट्टी के बढ़ते विस्तार से उपजाऊ जमीन बंजर हो सकती है और खेती योग्य क्षेत्र तेजी से सिकुड़ सकते हैं।

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अंतरराष्ट्रीय महत्व के पारिस्थितिक क्षेत्रों पर दबाव

कच्छ का रण, काला डूंगर, गंधव, गोलिया और जालोर का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले इको-हैबिटेट के रूप में सूचीबद्ध हैं। यही क्षेत्र ग्रेटर फ्लेमिंगो के विख्यात घोंसला क्षेत्रों में भी शामिल है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि बड़े पैमाने पर मशीनरी का उपयोग, वेयरहाउसिंग, भूमि अधिग्रहण और औद्योगिक क्लस्टर इन संवेदनशील प्राकृतिक आवासों को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकते हैं।

रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर चुनौती

समुद्र का खारा पानी यदि रेगिस्तानी जल स्रोतों में मिल गया, तो मीठे पानी की उपलब्धता तेजी से घट सकती है। खारी मिट्टी के कारण प्राकृतिक वनस्पति नष्ट होने का खतरा बढ़ेगा और इसके साथ ही पूरे खाद्य-श्रृंखला पर असर पड़ेगा। IUCN के सदस्य और प्राणी विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. दाऊलाल बोहरा का कहना है कि पारिस्थितिक असंतुलन स्थानीय जीव-जंतुओं के अस्तित्व को चुनौती दे सकता है, जिससे क्षेत्रीय जैव विविधता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेंगे।

निष्कर्ष

सर्वे रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि इनलैंड पोर्ट प्रोजेक्ट आर्थिक अवसरों के साथ-साथ गंभीर पर्यावरणीय जोखिम भी लेकर आता है। यदि परियोजना को आगे बढ़ाया जाता है, तो इसके लिए व्यापक पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय और सतत विकास की नीतियां अत्यंत आवश्यक होंगी।


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editor December 7, 2025
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