रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत का बहुप्रतीक्षित दौरा दक्षिण एशिया की राजनीति में नई हलचल लेकर आया है। यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा है, जिस दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और रक्षा सहयोग को नई दिशा देने पर जोर रहेगा। हालांकि भारत और रूस के संबंधों में मजबूती को सकारात्मक माना जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस पूरे परिदृश्य को लेकर खासा सतर्क दिखाई दे रहा है।
पुतिन के दौरे से पाकिस्तान की बेचैनी
पाकिस्तान सरकार ने कोई आधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया, लेकिन उसके राजनीतिक विश्लेषक और मीडिया पुतिन-भारत वार्ता के संभावित परिणामों पर गहराई से चर्चा कर रहे हैं। खासतौर पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली और भविष्य के सैन्य सहयोग से पाकिस्तान को सीमा सुरक्षा को लेकर खतरे की आशंका है।
पाकिस्तान के अनुसार, भारत-रूस रक्षा साझेदारी पहले से ही मजबूत है और नए सौदे दक्षिण एशिया की सैन्य संतुलन संरचना को बदल सकते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पिछले साल एससीओ सम्मेलन में कहा था कि पाकिस्तान भारत-रूस संबंधों का सम्मान करता है, लेकिन फिर भी सैन्य क्षेत्र में बढ़ता गठजोड़ उसे चिंतित करता है।
रूस से रिश्ते संभालने की कोशिश
पाकिस्तान एक तरफ जहां भारत-रूस समीकरण से दूरी बनाना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ वह खुद भी रूस के साथ संबंध मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में पुतिन को भेजे गए निमंत्रण को रूस ने स्वीकार किया है, जिसे पाकिस्तानी नेतृत्व एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के रूप में देख रहा है।
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शहबाज शरीफ ने पुतिन को ‘गतिशील नेता’ बताते हुए कहा था कि पाक-रूस सहयोग क्षेत्रीय शांति के लिए सहायक हो सकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान भारत के स्तर पर रूस से साझेदारी करने की स्थिति में नहीं है।
एस-400 को लेकर गहरी आशंका
पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भारत के पास मौजूद एस-400 मिसाइल सिस्टम पहले से ही एक बड़ी रणनीतिक बढ़त देता है। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए हवाई तनाव के दौरान एस-400 की क्षमता खुलकर सामने आई थी। भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने इसे ‘गेम चेंजर’ बताया था, जो पाकिस्तान के लिए चिंताओं का नया आधार बना।
पाकिस्तानी मीडिया की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान का मीडिया इस दौरे को लेकर विभाजित नजर आया।
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कुछ मीडिया हाउसों ने इसे सामान्य व्यापारिक यात्रा बताया।
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कई संपादकीयों में कहा गया कि भारत की बहुपक्षीय कूटनीति पाकिस्तान को क्षेत्रीय स्तर पर अलग-थलग महसूस करा रही है।
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वहीं कुछ चैनलों ने भारत-रूस रक्षा सौदों को दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन के लिए चुनौती बताया।
सोशल मीडिया पर बढ़ती चर्चाएं
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर #PutinIndiaVisit ट्रेंड कर रहा है।
लगभग 50% पोस्टों में चिंता, 30% में तटस्थता और करीब 20% में सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि भारत के पास बढ़ती सैन्य तकनीक पाकिस्तान के लिए खतरा हो सकती है, जबकि कुछ ने पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति को ‘दुविधापूर्ण’ बताया।
पाकिस्तान के लिए नई रणनीति की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन का यह दौरा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को और मजबूत करेगा। पाकिस्तान भले ही इस पर सार्वजनिक विरोध नहीं जता रहा, लेकिन उसकी चिंताएँ साफ झलक रही हैं।
दक्षिण एशिया में बदलते शक्ति संतुलन को देखते हुए पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा नीतियों और कूटनीतिक रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। एस-400 जैसे रक्षा सौदों का प्रभाव सीमावर्ती तनाव बढ़ा सकता है, और यही बात पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बनी हुई है।

