बीकानेर की फल एवं सब्जी मंडी, जो रोजाना शहर के घर-घर तक जरूरत की सब्जियां और फल पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती है, बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रही है। करीब 120 दुकानों से संचालित हो रही यह मंडी हर वर्ष लगभग ढाई से तीन करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करती है और दस लाख क्विंटल से अधिक वजन का कारोबार करती है, फिर भी प्रशासनिक स्तर पर ध्यान की कमी साफ झलकती है।
मंडी का इतिहास और वर्तमान संचालन
26 अगस्त 1996 को स्थापित इस मंडी से ऊन मंडी वर्ष 2012 में अलग हो चुकी है, जिसके बाद यहां केवल फल और सब्जियों की ही ट्रेडिंग होती है। लंबे समय से निर्वाचित अध्यक्ष न होने के कारण वर्तमान में सिटी मजिस्ट्रेट मंडी के प्रशासक की भूमिका निभा रहे हैं।
मंडी के संचालन की जिम्मेदारी केवल एक सचिव और एक सूचना सहायक पर टिकी है। सचिव के पास दूसरी मंडी का काम भी होने से दैनिक कार्यों में कई बार देरी देखी जाती है। संविदा पर तैनात सहायक सचिव और मशीन ऑपरेटर के कारण कार्यालय चल तो रहा है, लेकिन व्यवस्था पर्याप्त नहीं मानी जा रही।
मंडी परिसर की 120 दुकानें व्यापारियों को 99 वर्ष की लीज पर आवंटित हैं। इसके अलावा करीब 350 से अधिक लाइसेंसधारी व्यापारी मंडी के बाहर से भी कारोबार करते हैं।
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देशभर से आती हैं फल-सब्जियों की खेप
बीकानेर मंडी में रोजाना देश के विभिन्न राज्यों से सब्जियां और फल पहुंचते हैं।
सब्जियों में आलू, प्याज, टमाटर, लहसुन, बैंगन, मटर, गोभी, लौकी, गाजर, धनिया, भिंडी, मूली, पालक, टिंडा, शकरकंद आदि मौसम के अनुसार आते हैं।
फलों में अनार, किन्नू, खरबूजा, संतरा, अनानास, नाशपाती, सेब, अमरूद तथा तरबूज की रोजाना आपूर्ति होती है।
कृषक कल्याण शुल्क के रूप में टर्नओवर का एक प्रतिशत मंडी को मिलता है, जिससे सालाना करोड़ों की राशि मुख्यालय को जाती है।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
विशाल क्षेत्र में फैली इस मंडी में पेयजल और शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से कई लोग खुली जगहों का उपयोग करने पर मजबूर हैं। सुबह 6 बजे से 11 बजे तक मंडी में ट्रैफिक अव्यवस्थित रहता है। सेना के वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
दुकानों के बाहर सड़ी-गली सब्जियों और फलों का ढेर जमा होने से स्वच्छता भी गंभीर समस्या बनी हुई है।
व्यापारियों और प्रशासन की प्रतिक्रिया
आढ़त व्यापारियों के संगठन के सचिव सरदार गुरुदयाल सिंह का कहना है कि मंडी प्रशासनिक उपेक्षा का सामना कर रही है। उनके अनुसार, यहां नवाचार, गुणवत्ता नियंत्रण और व्यापारियों से जुड़े मुद्दों पर कोई ठोस कार्य योजना नहीं बन रही। उन्होंने साफ कहा कि पीने का पानी, शौचालय और सफाई व्यवस्था तत्काल बेहतर की जानी चाहिए।
मंडी सचिव नवीन गोदारा ने बताया कि फलों और सब्जियों का कारोबार व्यवस्थित रूप से चल रहा है और प्राप्त कृषक कल्याण कोष की राशि मुख्यालय भेजी जाती है। उन्होंने कहा कि नगर निगम से पेयजल और शौचालय निर्माण को लेकर बातचीत चल रही है और जल्द ही सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त कचरा प्रबंधन के लिए विदेशी तकनीक आधारित पिट निर्माण भी जल्द शुरू किया जाएगा।

