जयपुर के वैशाली नगर इलाके में सड़क चौड़ीकरण अभियान ने एक अप्रत्याशित विवाद खड़ा कर दिया है। गांधी पथ पर चल रही इस कार्रवाई के दौरान जयपुर विकास प्राधिकरण ने दुकानों और मकानों के साथ एक प्राचीन शिव मंदिर को भी अतिक्रमण श्रेणी में शामिल करते हुए नोटिस जारी कर दिया। नोटिस मंदिर की बाउंड्री वॉल पर 21 नवंबर को चस्पा किया गया, जिसने पूरे क्षेत्र में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है।
JDA ने मंदिर को बताया अतिक्रमण, दिए 7 दिन
जारी नोटिस के अनुसार हाईकोर्ट में लंबित रिट पिटीशन नंबर 658/2024 के तहत सड़क को 100 फीट तक चौड़ा करना प्रस्तावित है। JDA की पीटी सर्वे रिपोर्ट (जोन-7) के मुताबिक मंदिर परिसर की दीवार नियत सड़क सीमा में 1.59 मीटर तक आ रही है, जिसे अतिक्रमण माना गया है।
प्राधिकरण ने मंदिर के नाम जवाब मांगते हुए चेतावनी दी है कि यदि तय समय सीमा में दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए तो कार्रवाई एकतरफा होगी और निर्माण हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
स्थानीय लोगों ने जताया कड़ा विरोध
इस नोटिस ने स्थानीय नागरिकों को नाराज कर दिया है। उनका कहना है कि मंदिर कोई नया निर्माण नहीं है, बल्कि पूर्व में JDA ने ही पार्क के साथ इसका निर्माण कराया था। बाउंड्री वॉल भी प्राधिकरण की ही निर्माण इकाई ने तैयार की थी।
निवासियों का आरोप है कि नोटिस किसी ट्रस्ट, कमेटी या जिम्मेदार व्यक्ति के नाम भेजा जाना चाहिए था, न कि सीधे भगवान शिव के नाम। इसे वे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला कदम बता रहे हैं और JDA से माफी की मांग कर रहे हैं।
70 से अधिक मकान मालिकों को भी मिले नोटिस
उसी दिन क्षेत्र में करीब 70 घरों और दुकानों को भी अतिक्रमण नोटिस दिए गए। हालांकि मंदिर को नोटिस मिलने के बाद यह मामला तेजी से सुर्खियों में आ गया। लोगों का कहना है कि मंदिर प्रबंधन या पुजारियों से कोई बातचीत नहीं की गई और सीधे दीवार पर नोटिस ठोक दिया गया।
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प्रदर्शन की तैयारी, सोशल मीडिया पर बढ़ता दबाव
नोटिस का फोटो सामने आते ही स्थानीय निवासी JDA कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन की तैयारी में जुट गए हैं। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से प्रसारित हो रहा है, जहां #SaveShivMandir और #JDAvsBhagwan जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।
लोग तंज कसते हुए पूछ रहे हैं कि 28 नवंबर को दस्तावेज लेकर कौन उपस्थित होगा—मंदिर समिति या भक्त।
JDA अधिकारियों की सफाई
JDA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नोटिस जारी करना नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। उनका कहना है कि जहां भी कब्जा पाया जाता है, वहां नोटिस लगाया जाता है। यदि मंदिर से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए जाते हैं, तो मामले में राहत संभव है।
हालांकि स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब JDA ने स्वयं मंदिर का निर्माण कराया था, तो अब उनसे दस्तावेज मांगना तर्कसंगत नहीं है।
