राजस्थान अब ऊर्जा उत्पादन के एक नए युग में प्रवेश करने जा रहा है। माही नदी के किनारे बांसवाड़ा में राज्य का दूसरा बड़ा परमाणु ऊर्जा केंद्र आकार ले रहा है, जो आने वाले वर्षों में बिजली की उपलब्धता को पूरी तरह बदल देगा। इस परियोजना के तहत लगने वाले चार स्वदेशी 700 मेगावाट प्रेसराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर न केवल राजस्थान को स्थिर बिजली देंगे बल्कि प्रदेश की कोयला-आधारित बिजली पर निर्भरता भी भारी मात्रा में कम करेंगे।
परियोजना की प्रगति और भविष्य की योजना
माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना का आधारभूत कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब साइट पर खुदाई का चरण शुरू होने की तैयारी है, जिसके लिए एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड की औपचारिक मंजूरी प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन के संयुक्त उद्यम “अणुशक्ति विद्युत निगम (अश्विनी)” द्वारा संचालित यह परियोजना 2800 मेगावाट क्षमता के चार रिएक्टरों पर आधारित होगी। योजना के अनुसार पहला रिएक्टर 2032 से पहले शुरू किया जाएगा और उसके बाद कुछ महीनों के अंतर से बाकी तीन इकाइयां भी जुड़ती जाएंगी।
इस विशाल परियोजना के पूर्ण संचालन के बाद राजस्थान को सालाना लगभग 200 अरब यूनिट बिजली मिलने का अनुमान है, जो प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को मजबूती से पूरा करेगा।
स्वच्छ ऊर्जा में बड़ा योगदान
देशभर में इस समय 22 परमाणु रिएक्टर कार्यरत हैं, और बांसवाड़ा में बनने वाला यह रिएक्टर देश का नया प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा केंद्र बनेगा। कोयला आधारित बिजलीघरों की तुलना में परमाणु ऊर्जा उत्पादन सीमित कार्बन उत्सर्जन करता है, जिससे पर्यावरणीय दबाव कम होता है।
राजस्थान में बिजली उत्पादन की मौजूदा व्यवस्था मांग के मुकाबले कम रही है, लेकिन बांसवाड़ा के रिएक्टर के चालू होने पर राज्य को लगभग 50 प्रतिशत अतिरिक्त स्वच्छ बिजली मिल सकेगी, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
वागड़ क्षेत्र को होने वाले बड़े फायदे
परियोजना से बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। स्थानीय युवाओं के लिए तकनीकी प्रशिक्षण, कौशल विकास कार्यक्रम और विभिन्न CSR पहलकदमियां पहले ही शुरू की जा चुकी हैं, जिससे सामाजिक विकास को गति मिली है।
उम्मीद है कि परियोजना से सीधे और परोक्ष रूप से 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही सड़कों, आवास, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा और बाजारों जैसी आधारभूत संरचनाओं का व्यापक विकास होगा, जिससे पूरे वागड़ क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां मजबूत होंगी।
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परियोजना से जुड़े प्रमुख तथ्य
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साझेदारी: एनपीसीआईएल 51%, एनटीपीसीएल 49%
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स्थान: ब्लॉक छोटी सरवन, जिला बांसवाड़ा
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कुल अधिग्रहित भूमि: 553 हेक्टेयर
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कुल क्षमता: 2800 मेगावाट
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इकाइयां: चार, प्रत्येक 700 मेगावाट
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रिएक्टर प्रकार: स्वदेशी प्रेसराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर
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शिलान्यास: सितंबर 2025
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पहली यूनिट चालू होने का लक्ष्य: 2032
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पूर्ण परियोजना समयसीमा: 2036
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अनुमानित लागत: लगभग 42,000 करोड़ रुपये
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संभावित रोजगार: 20,000 से अधिक
बांसवाड़ा का यह परमाणु ऊर्जा केंद्र न सिर्फ राजस्थान के ऊर्जा परिदृश्य को बदलने जा रहा है, बल्कि वागड़ को विकास और स्वच्छ ऊर्जा के नए केंद्र के रूप में भी स्थापित करेगा।
