नीतीश कुमार का भव्य शपथ ग्रहण: भारतीय राजनीति में दर्ज हुआ नया रिकॉर्ड
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों में NDA को मिली भारी जीत के बाद बुधवार, 20 नवंबर 2025 का दिन राज्य की राजनीति के लिए ऐतिहासिक बन गया। नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में आयोजित समारोह में दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक ऐसा रिकॉर्ड बना दिया, जो भारत में इससे पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने हासिल नहीं किया था। उनके साथ सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि मंत्रिमंडल के कई अन्य सदस्यों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।
प्रधानमंत्री और शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी
गांधी मैदान में हुआ यह आयोजन अपने भव्य स्वरूप के लिए चर्चित रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री समारोह में उपस्थित रहे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मोहन यादव और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। कार्यक्रम में मैथिली ठाकुर और सांसद मनोज तिवारी की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बिहार की समृद्ध लोक परंपरा को मंच पर जीवंत कर दिया।
विधायक नहीं, फिर भी मुख्यमंत्री: कौन-सा संवैधानिक प्रावधान देता है अनुमति?
नीतीश कुमार ने इस विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लिया, जिसके चलते वे विधायक नहीं हैं। इसके बावजूद उनका मुख्यमंत्री बनना पूरी तरह संवैधानिक है, क्योंकि वे विधान परिषद के सदस्य हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार, मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा का सदस्य होना अनिवार्य नहीं है; विधान परिषद का सदस्य होना भी समान रूप से वैध है।
अगर कोई नेता शपथ लेते समय किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, तब भी वह छह महीने तक पद पर रह सकता है, बशर्ते इस अवधि के भीतर वह किसी एक सदन की सदस्यता प्राप्त कर ले। बिहार जैसे द्विसदनीय राज्य में अक्सर नेता एमएलसी रहते हुए सरकार का नेतृत्व करते रहे हैं और यह पूरी तरह सामान्य प्रक्रिया है।
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विधान परिषद का महत्व और क्यों बनाया गया यह नियम
द्विसदनीय विधानमंडल वाले राज्यों में विधान परिषद एक विकल्प प्रदान करती है, जिसके माध्यम से चुनाव नहीं लड़ने वाले नेता भी राज्य की नीतिगत दिशा तय कर सकते हैं। संविधान निर्माताओं ने यह प्रावधान इसलिए शामिल किया था ताकि सरकार गठन में अनावश्यक देरी न हो और प्रशासन निरंतरता बनाए रखे।
शपथ ग्रहण समारोह से दूरी पर RJD, JDU का तीखा हमला
शपथ ग्रहण से ठीक पहले राजनीतिक बयानबाजी भी तेज रही। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि वे लोकतांत्रिक कार्यक्रम में शामिल होने से क्यों बच रहे हैं।
नीरज कुमार ने कहा कि यदि लालू प्रसाद अपराध मामलों में उलझे लोगों के प्रचार में शामिल हो सकते हैं, तो राज्य के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी क्यों? तेजस्वी यादव को भी उन्होंने आह्वान किया कि चुनाव परिणाम भले उनके अनुकूल न रहे हों, लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों के सम्मान में समारोह में शामिल होना चाहिए।
बिहार की राजनीति का नया अध्याय
गांधी मैदान में आयोजित यह शपथ ग्रहण सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के बदलते परिदृश्य का प्रतीक रहा। नीतीश कुमार की दसवीं पारी के साथ राज्य एक बार फिर नई नीतिगत दिशा और राजनीतिक समीकरणों की ओर बढ़ रहा है।
