दिल्ली और श्रीनगर में हुए धमाकों के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अब्दुल्ला ने कहा कि दिल्ली ब्लास्ट के बाद हर कश्मीरी को शक की नजर से देखा जा रहा है, जबकि वास्तविक जिम्मेदारों को पहचानना और उनसे सवाल करना आवश्यक है। उनका कहना था कि कब तक देश यह समझने में देर करेगा कि किसी घटना की वजह से पूरे कश्मीर को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता।
अब्दुल्ला ने ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए सवाल
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अब्दुल्ला ने कहा कि इस कार्रवाई से कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसी कार्रवाइयों में जल्दबाजी नहीं दोहराई जाएगी। उनके मुताबिक, हाल की घटनाओं में जम्मू-कश्मीर ने 18 लोगों को खोया है, जो यह दिखाता है कि सुरक्षा और खुफिया व्यवस्थाओं में गंभीर कमी रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दिल्ली धमाके में कश्मीरियों को दोषी ठहराने से पहले जिम्मेदार एजेंसियों को इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि संदिग्धों ने विस्फोटक रास्ता क्यों चुना और उनके पीछे असल कारण क्या थे।
नौगाम थाने में ब्लास्ट को लेकर टिप्पणी
श्रीनगर के नौगाम थाने में 14 नवंबर की रात हुए धमाके पर अब्दुल्ला ने स्वीकार किया कि विस्फोटक सामग्री को संभालने के दौरान गंभीर लापरवाही हुई। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील पदार्थों को समझने और सुरक्षित तरीके से निष्क्रिय करने वालों से पहले सलाह ली जानी चाहिए थी। इस हादसे में नौ घरों को नुकसान पहुंचा है, जबकि कई लोग इसकी चपेट में आए।
नौगाम ब्लास्ट में 9 की मौत, 32 घायल
फरीदाबाद से बरामद किए गए करीब 360 किलोग्राम विस्फोटक को जांच के लिए नौगाम थाना परिसर में रखा गया था, जहां यह अचानक फट गया। हादसे में 9 लोगों की मौत हुई, जिनमें फोरेंसिक टीम के 3 सदस्य, SIA का एक इंस्पेक्टर, एक नायब तहसीलदार, दो पुलिस फोटोग्राफर और तीन स्थानीय निवासी शामिल थे। 32 लोग घायल हुए, जिनमें अधिकतर पुलिसकर्मी थे। धमाका इतना शक्तिशाली था कि 100 मीटर दूर तक मानव अवशेष मिले और 800 मीटर तक खिड़कियों के शीशे टूट गए। पुलिस ने इसे आतंकी हमला नहीं बल्कि तकनीकी चूक के चलते हुए हादसा बताया।
- Advertisement -
दिल्ली ब्लास्ट में 13 की मौत, मॉड्यूल से अब तक 15 गिरफ्तार
10 नवंबर को लाल किले के पास हुए धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी। जांच में इस घटना का लिंक फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा मिला। यहां पढ़ाने वाला डॉ. उमर मोहम्मद नबी, जो कार चला रहा था, विस्फोट में मारा गया। वह पुलवामा का रहने वाला था और पुलिस के अनुसार व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का हिस्सा था। इस मामले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
