दिल्ली ब्लास्ट की साजिश में उमर और साथियों को मिला 20 लाख का फंड, एनआईए जांच में नया मोड़
दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बड़ा सुराग मिला है। जांच में खुलासा हुआ है कि डॉ. उमर नबी मोहम्मद और उसके साथियों ने इस विस्फोट की साजिश को अंजाम देने के लिए करीब 20 लाख रुपये जुटाए थे।
यह रकम कथित तौर पर डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदील, उमर और शाहीन नामक संदिग्धों ने मिलकर जुटाई थी, जिसे बाद में उमर को सौंपा गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह पैसा विस्फोटक सामग्री और उपकरण खरीदने में इस्तेमाल किया गया।
20 क्विंटल एनपीके उर्वरक से बना IED
एनआईए की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि संदिग्धों ने गुरुग्राम, नूंह और आसपास के इलाकों से करीब 3 लाख रुपये का 20 क्विंटल एनपीके उर्वरक खरीदा था। जांच एजेंसियों को शक है कि इसी उर्वरक का उपयोग इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) तैयार करने में हुआ, जिससे लाल किले के पास विस्फोट हुआ।
पैसों को लेकर उमर और मुजम्मिल में विवाद
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि साजिश में शामिल उमर और मुजम्मिल के बीच पैसों को लेकर गंभीर मतभेद हो गए थे। बताया जा रहा है कि विवाद बढ़ने के बाद उमर ने केवल दो से चार विश्वसनीय लोगों को शामिल करते हुए एक निजी सिग्नल ग्रुप बनाया था, जहां पर रासायनिक सामग्री और टारगेट से जुड़ी जानकारी साझा की जाती थी।
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मस्जिद में रुका था उमर, CCTV से खुला राज
एनआईए को मिली जानकारी के अनुसार, विस्फोट से कुछ मिनट पहले उमर पुरानी दिल्ली की एक मस्जिद में गया था, जहां वह करीब 10 मिनट तक रुका। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या उसने वहां किसी सहयोगी से मुलाकात की या आखिरी निर्देश प्राप्त किए। यह जानकारी स्थानीय खुफिया विभाग और CCTV फुटेज के जरिए सामने आई है।
10 नवंबर को हुआ था धमाका, एनआईए के हाथ में जांच
दिल्ली में यह भीषण धमाका 10 नवंबर की शाम करीब 6:52 बजे लाल किले के पास हुआ था। इस विस्फोट में नौ लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल हुए। विस्फोट के बाद पूरे इलाके में सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया।
बाद में केंद्र सरकार ने मामले की जांच एनआईए को सौंप दी, जिसने तत्काल मौके को सील कर साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
दो मौलवियों की भूमिका आई सामने
जांच के दौरान दो मौलवियों की संलिप्तता भी सामने आई है — एक जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के नादिगाम इलाके का रहने वाला मौलवी इरफान अहमद वागे, और दूसरा हरियाणा के फरीदाबाद निवासी मौलवी हाफिज मोहम्मद इश्तियाक।
पुलिस का कहना है कि इनमें से एक मौलवी ने संदिग्ध आतंकियों को भर्ती करने में मदद की, जबकि दूसरे ने अपने घर को विस्फोटक सामग्री छिपाने के लिए किराए पर दिया।
वागे का अतीत और गिरफ्तारी
इरफान वागे को 18 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। परिवार के अनुसार, वह लंबे समय से श्रीनगर की नौगाम मस्जिद में नमाज पढ़ाता था और कभी किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं रहा। उसकी पत्नी फातिमा ने बताया कि उन्हें इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि उनके पति किसी साजिश में शामिल हैं।
वहीं, पुलिस का कहना है कि वागे का संबंध जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGH) जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ है।
अमेरिका ने कहा — यह एक आतंकवादी हमला है
इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दिल्ली धमाके को “स्पष्ट रूप से एक आतंकवादी हमला” बताया। उन्होंने कहा कि भारत इस मामले की जांच बेहद पेशेवर और सावधानीपूर्वक तरीके से कर रहा है।
रुबियो ने यह भी बताया कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
प्रधानमंत्री मोदी ने ली उच्च स्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में धमाके में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया गया।
कैबिनेट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस आतंकी हमले की जांच तेजी और सटीकता से की जाए, ताकि अपराधियों को सख्त सजा दी जा सके।
पाकिस्तान से जुड़े तारों की जांच जारी
एनआईए की जांच में संकेत मिले हैं कि दिल्ली ब्लास्ट के तार पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े हैं। एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि 20 लाख रुपये की फंडिंग का स्रोत कहां से आया और भारत में इसे किस चैनल के जरिए पहुंचाया गया।
