राजस्थान के सड़कों पर मौत का सफर: 80 दिन में 67 लोगों की जिंदगी हुई खत्म
राजस्थान एक बार फिर भयावह सड़क हादसों से दहल उठा है। ताज़ा मामला फलोदी जिले का है, जहां भारतमाला हाईवे पर रविवार शाम एक मिनी बस खड़े ट्रेलर में जा घुसी। हादसा इतना भीषण था कि बस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। इस दर्दनाक टक्कर में 15 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें 10 महिलाएं, चार बच्चे और बस चालक शामिल थे। घटनास्थल पर मदद के लिए पहुंचे लोग भी इस दृश्य को देखकर विचलित हो गए।
पिछले 80 दिनों में यह राजस्थान का छठा बड़ा हादसा है, जिसमें अब तक कुल 67 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य की सड़कों पर लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने सड़क सुरक्षा की खामियों को उजागर कर दिया है।
हाल के प्रमुख सड़क हादसे जिनसे पूरा राजस्थान हिल गया
13 अगस्त — दौसा हादसा:
मनोहरपुर-दौसा नेशनल हाईवे पर श्रद्धालुओं से भरी एक पिकअप खड़े कंटेनर से टकरा गई। हादसे में 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। सभी श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के एटा जिले से खाटूश्यामजी और सालासर बालाजी दर्शन कर लौट रहे थे।
14 सितंबर — जयपुर अंडरपास दुर्घटना:
जयपुर के शिवदासपुरा रिंग रोड पर तेज रफ्तार कार डिवाइडर से टकराकर 16 फीट नीचे अंडरपास में गिर गई। इस हादसे में दो परिवारों के 7 लोगों की मौत हो गई। सभी लोग हरिद्वार से अस्थि विसर्जन कर लौट रहे थे।
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14 अक्टूबर — जैसलमेर बस हादसा:
जैसलमेर के जोधपुर रोड पर चलती स्लीपर बस में अचानक आग लग गई। इस भीषण हादसे में 28 यात्रियों की जान चली गई। यह हादसा पिछले कुछ वर्षों में राज्य के सबसे भयावह हादसों में से एक रहा।
24 अक्टूबर — जयपुर मजदूर बस हादसा:
मनोहरपुर के पास मजदूरों से भरी बस हाईटेंशन बिजली लाइन के संपर्क में आ गई, जिससे बस में आग लग गई। इस दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई जबकि 13 घायल हुए।
31 अक्टूबर — फलोदी डंपर हादसा:
बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेज रफ्तार डंपर ने सड़क किनारे खड़े 16 लोगों को रौंद दिया। चार लोगों की मौत हो गई और 12 गंभीर रूप से घायल हुए।
3 नवंबर — फलोदी भारतमाला हादसा:
भारतमाला हाईवे पर मिनी बस और ट्रेलर की टक्कर में 15 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
सड़क सुरक्षा पर उठते गंभीर सवाल
लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने राजस्थान में सड़क सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि तेज रफ्तार, थकान में ड्राइविंग, रात में अपर्याप्त रोशनी और खराब सड़क संकेत इन हादसों के प्रमुख कारण हैं। प्रशासनिक स्तर पर सख्त कार्रवाई और जागरूकता अभियान की आवश्यकता अब पहले से अधिक महसूस की जा रही है।
