पाकिस्तान में पत्रकारिता पर बढ़ता खतरा
पाकिस्तान में मीडिया की आजादी पर संकट गहराता जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में अघोषित सेंसरशिप लागू की जा रही है, जिसके कारण पत्रकारों की आवाज़ दबाई जा रही है और कई मीडिया संस्थान सरकारी दबाव में काम करने को मजबूर हैं।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (International Federation of Journalists – IFJ) ने पाकिस्तान की स्थिति को “मीडिया का गहराता संकट” बताते हुए चिंता जाहिर की है। संगठन ने कहा कि पत्रकारों पर धमकी, झूठे मुकदमे, वेतन बकाया और हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
डॉन की रिपोर्ट में उजागर हुआ संकट
अंग्रेजी दैनिक ‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में मीडिया पर परोक्ष रूप से नियंत्रण बढ़ता जा रहा है। खबरों को सेंसर किया जा रहा है और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।
पेरिस में हुई एक विशेष बैठक में Pakistan Federal Union of Journalists (PFUJ) के प्रतिनिधियों ने IFJ नेताओं से मुलाकात कर मौजूदा हालात पर चर्चा की।
इस बैठक में PFUJ महासचिव शकील अहमद, तारिक उस्मानी और वसीम शहजाद कादरी ने बताया कि देश में लागू Prevention of Electronic Crimes Act (PECA) का गलत इस्तेमाल हो रहा है।
- Advertisement -
उनके मुताबिक, इस कानून के तहत पत्रकारों के खिलाफ फर्जी केस बनाए जा रहे हैं और उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है ताकि वे संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्ट न कर सकें।
IFJ ने पाकिस्तान सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की
IFJ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश से तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है। संगठन ने चेतावनी दी कि अगर हालात में सुधार नहीं हुआ तो वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (UN) के समक्ष उठाएगा।
IFJ का कहना है कि मीडिया पर “छिपी सेंसरशिप” लोकतंत्र के खिलाफ है और इसे गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही, पत्रकारों के खिलाफ हुए राजनीतिक मुकदमों को वापस लेने और हमलों में शामिल लोगों को सख्त सजा देने की मांग की गई है।
पत्रकारों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में सैकड़ों पत्रकार बेरोजगार हो चुके हैं और कई के वेतन महीनों से बकाया हैं। मीडिया संस्थानों पर आर्थिक दबाव इतना बढ़ गया है कि कई चैनल और अखबार बंद होने की कगार पर हैं।
IFJ ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अपील की है कि वे मीडिया कर्मियों की “आर्थिक हत्या” रोकें और उन्हें न्यूनतम वेतन और सुरक्षा का आश्वासन दें।
PFUJ नेताओं को धमकियां, IFJ का एकजुट समर्थन
IFJ ने पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (PFUJ) के नेताओं को दी जा रही धमकियों की भी निंदा की है। संगठन ने PFUJ प्रमुख राणा मुहम्मद अज़ीम को मिली जान से मारने की धमकियों को गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि यदि सरकार चुप रही तो अंतरराष्ट्रीय पत्रकार समुदाय एकजुट होकर कार्रवाई करेगा।
मीडिया पर हमला, लोकतंत्र पर वार
पाकिस्तान में मीडिया पर लगाम कसना केवल पत्रकारों का मुद्दा नहीं, बल्कि यह जनता के सूचना के अधिकार पर भी सीधा हमला है। सेंसरशिप से भ्रष्टाचार और गलत नीतियों पर पर्दा पड़ जाता है, जिससे लोकतंत्र कमजोर होता है।
IFJ ने स्पष्ट किया है कि यदि पाकिस्तान ने अपने पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित नहीं की, तो उस पर वैश्विक दबाव डाला जाएगा — जैसा श्रीलंका और बांग्लादेश के मामलों में हुआ था।
