इसरो का एलवीएम3-एम5 रॉकेट लॉन्च, नौसेना को मिला मजबूत संचार कवच
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। शनिवार को इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम3-एम5 (LVM3-M5) से सीएमएस-03 (CMS-03) संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। लगभग 4,400 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह अब तक का भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह है और विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया गया है।
समुद्री क्षेत्र में मिलेगा अभेद्य संचार नेटवर्क
सीएमएस-03 के कक्षा में स्थापित होने से भारतीय नौसेना को अब समुद्र के बीच भी सुरक्षित, तेज और हाई-कैपेसिटी संचार नेटवर्क मिलेगा। यह उपग्रह नौसेना के जहाजों, विमानों और पनडुब्बियों के बीच संचार को अधिक सटीक और सुरक्षित बनाएगा। इसके साथ ही भारत की समुद्री क्षेत्र जागरूकता (Maritime Domain Awareness) क्षमता भी कई गुना बढ़ जाएगी।
इसरो ने बताया ‘परफेक्ट इंजेक्शन’
इसरो ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी दी कि सीएमएस-03 रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है, और इसे “परफेक्ट इंजेक्शन” बताया गया। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने इस सफलता को “देश की आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति का प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा कि “सीएमएस-03 उपग्रह 15 वर्षों तक सेवा देगा और यह भारत की उच्च क्षमता वाले स्पेस कम्युनिकेशन को नई दिशा देगा।”
कठिन मौसम के बावजूद सफल मिशन
वी. नारायणन ने बताया कि प्रक्षेपण के दौरान मौसम अनुकूल नहीं था, लेकिन इसरो टीम ने चुनौतियों को पार करते हुए मिशन को शानदार सफलता दिलाई। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक क्षमता का जीवंत उदाहरण है।
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क्रायोजेनिक इंजन पर ऐतिहासिक प्रयोग
इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि इस मिशन के दौरान स्वदेशी सी-25 क्रायोजेनिक चरण का सफल पुनः प्रज्वलन (re-ignition) किया गया। यह प्रयोग भविष्य में एलवीएम3 के जरिए एक ही रॉकेट से कई उपग्रहों को अलग-अलग कक्षाओं में भेजने की तकनीक को सक्षम बनाएगा।
सीएमएस-03: भारत का सबसे उन्नत संचार उपग्रह
सीएमएस-03 (Communication Satellite Mission-03) एक मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जो विभिन्न रेडियो तरंगों पर काम करेगा। इसमें हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं होंगी। इससे देश के दूरदराज और तटीय क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी और संचार सुरक्षा दोनों में बड़ा सुधार होगा।
‘बाहुबली’ रॉकेट की एक और सफलता
एलवीएम3-एम5, जिसे आमतौर पर ‘बाहुबली रॉकेट’ कहा जाता है, भारत का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल है। यह 4,000 किलोग्राम से अधिक पेलोड ले जाने की क्षमता रखता है। इसके पहले भी यह कई अंतरिक्ष मिशनों में भारत को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित कर चुका है।
नौसेना की सुरक्षा और संचार प्रणाली होगी और मजबूत
भारतीय नौसेना ने कहा कि सीएमएस-03 उपग्रह से स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन और समुद्री सुरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी। इस उपग्रह में कई स्वदेशी तकनीकी घटक शामिल किए गए हैं, जिन्हें नौसेना की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
