RA स्टूडियो बंधक कांड: न आतंकवादी, न अपराधी — आखिर क्यों बना रोहित आर्या ‘किडनैपर’?
मुंबई: देश को झकझोर देने वाले RA स्टूडियो बंधक कांड में अब कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 49 वर्षीय रोहित आर्या, जिसने मुंबई के पवई इलाके स्थित स्टूडियो में 17 बच्चों समेत 20 लोगों को बंधक बनाया, न तो आतंकवादी था और न ही किसी आपराधिक गैंग से जुड़ा हुआ व्यक्ति। पुलिस जांच में सामने आया कि वह मानसिक और आर्थिक तनाव के चलते इस चरम कदम तक पहुंचा।
डॉक्यूमेंट्री ऑडिशन के बहाने बच्चों को बनाया बंधक
घटना 27 अक्टूबर की बताई जा रही है। रोहित आर्या ने खुद को एक फिल्म निर्माता बताकर स्टूडियो में ‘डॉक्यूमेंट्री ऑडिशन’ के नाम पर कई बच्चों को बुलाया। बच्चे, जिनकी उम्र 8 से 15 वर्ष के बीच थी, ऑडिशन देने पहुंचे थे। उसी दौरान आर्या ने स्टूडियो को अंदर से बंद कर सबको बंधक बना लिया।
थोड़ी देर बाद उसने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करते हुए कहा कि वह “न आतंकवादी है, न अपराधी, बल्कि सिस्टम से टूटा हुआ इंसान है।”
दो करोड़ रुपये की मांग और सरकारी विवाद
प्रारंभिक जांच में पता चला कि रोहित आर्या ने यह सब महाराष्ट्र सरकार से 2 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूलने के लिए किया था।
आर्या का दावा था कि उसने पिछले साल ‘मुख्यमंत्री माझी शाला सुंदर शाला योजना’ के तहत एक शैक्षणिक प्रोजेक्ट ‘स्वच्छता मॉनिटर’ पर काम किया था। उसने इस प्रोजेक्ट में अपनी संपत्ति और गहने तक बेच दिए, लेकिन राज्य सरकार ने भुगतान नहीं किया।
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हालांकि, महाराष्ट्र सरकार और शिक्षा विभाग ने इन दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि “रोहित आर्या या उनकी संस्था का विभाग से कोई आधिकारिक संबंध नहीं था।”
मानसिक तनाव और अवसाद में गया आर्या
पुणे निवासी रोहित आर्या कई महीनों से मानसिक अवसाद में था। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सूरज लोखंडे ने बताया कि रोहित ने पिछले वर्ष इसी मुद्दे पर आमरण अनशन भी किया था। उसे तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से आश्वासन मिला था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
उसकी पत्नी ICICI बैंक में कार्यरत हैं और एक बेटा है। कोथरुड में रहने वाले पड़ोसियों के मुताबिक, आर्या के माता-पिता बुजुर्ग हैं और पिता को हृदय रोग है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई से बची बड़ी त्रासदी
जब स्टूडियो में बंधक बनाए जाने की खबर मिली, तो पवई पुलिस और क्विक रिएक्शन टीम (QRT) मौके पर पहुंची। करीब 35 मिनट के ऑपरेशन में कमांडो ने बाथरूम के रास्ते प्रवेश कर सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
इस दौरान रोहित आर्या ने एयरगन से हमला करने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। गोली लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
पूर्व मंत्री दीपक केसरकर का बयान
पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा,
“मेरा नाम इस मामले में बेवजह घसीटा जा रहा है। रोहित आर्या को किसी सरकारी प्रोजेक्ट का प्रत्यक्ष ठेका नहीं दिया गया था। ऐसे मामलों में कुछ प्रक्रियाएं और प्रोटोकॉल होते हैं जिनमें समय लगता है, लेकिन बंधक बनाना किसी भी तरह से उचित नहीं।”
जांच जारी, कई सवाल बाकी
मुंबई पुलिस ने बताया कि घटना की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की गई है। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि आर्या ने यह पूरी योजना अकेले बनाई थी या किसी के उकसावे में आया।
यह घटना न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि सिस्टम में देरी और नौकरशाही की जटिलताएं कभी-कभी एक सामान्य व्यक्ति को भी असामान्य कदम उठाने पर मजबूर कर देती हैं।
 
             
             
        
 
         
         
         
         
         
         
         
        