बीकानेर में गोचर भूमि (चरागाहों) को बचाने को लेकर जारी जनजागरण अभियान अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी 30 अक्टूबर को एक दिन का उपवास आंदोलन आयोजित करने जा रही है।
इस उपवास कार्यक्रम की अगुवाई पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला करेंगे, जिन्होंने सोमवार रात एक वीडियो संदेश जारी कर आमजन से जुड़ने का आह्वान किया था।
डॉ. कल्ला ने सोशल मीडिया के माध्यम से की अपील
मंगलवार सुबह डॉ. कल्ला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी करते हुए लिखा —
“गोपाष्टमी के दिन गोचर भूमि की रक्षा के लिए शहर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित उपवास कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें। जब तक चाँद-तारे रहेंगे, यह भूमि गोचर के रूप में ही जानी जाएगी।”
इस संदेश के साथ डॉ. कल्ला ने लोगों से भावनात्मक अपील की है कि वे इस मुहिम को केवल राजनीतिक आंदोलन न मानें, बल्कि इसे गौमाता और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा जनआंदोलन समझें।
लगातार सक्रिय हैं डॉ. कल्ला
पूर्व मंत्री बी.डी. कल्ला पिछले कई दिनों से गोचर भूमि विवाद को लेकर सक्रिय हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रशासन गोचर भूमि पर अवैध निर्माण और कब्जों को लेकर निष्क्रिय रवैया अपना रहा है।
कल्ला ने कहा कि “गोचर केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, यह गौवंश के अस्तित्व और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है। इसे बचाना हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है।”
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गौभक्तों में बढ़ रहा आक्रोश
बीकानेर में पिछले कुछ समय से गोचर भूमि को लेकर गौभक्तों और सामाजिक संगठनों में नाराजगी बढ़ी है।
लोगों का कहना है कि गोचर क्षेत्र में प्रशासन की ओर से की जा रही गतिविधियाँ परंपरागत चरागाह प्रणाली के खिलाफ हैं।
कई संगठनों ने सोशल मीडिया और धरना-प्रदर्शन के माध्यम से इस विषय पर आक्रोश अभियान शुरू कर रखा है।
कांग्रेस की रणनीति
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस आंदोलन के माध्यम से जनभावनाओं से जुड़ने की कोशिश कर रही है।
गोपाष्टमी जैसे धार्मिक अवसर पर उपवास कार्यक्रम आयोजित कर पार्टी इस मुद्दे को धार्मिक और सामाजिक संदर्भों से जोड़ने की रणनीति अपना रही है।
