नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग (Election Commission) ने देशभर में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है। पहले चरण में यह प्रक्रिया कुछ प्रमुख राज्यों में लागू होगी। आयोग आज शाम 4:15 बजे विज्ञान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर औपचारिक घोषणा करेगा।
बिहार में SIR लागू होने के बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीतिक टकराव तेज हो गया था, और अब जब इसे राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया जा रहा है, तो विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। वहीं, सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने इसे पारदर्शी चुनाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
विपक्ष का आरोप: “केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा चुनाव आयोग”
विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा (झारखंड) ने कहा,
“अगर यह प्रक्रिया ईमानदारी से नहीं की गई, तो यह वोट चोरी का जरिया बन जाएगी। आयोग को निष्पक्ष रहना चाहिए, लेकिन अब उसके काम करने के तरीके से जनता का भरोसा उठने लगा है।”
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महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग को “वोटर लिस्ट की सफाई के नाम पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने पहले ही मतदाता सूची में गड़बड़ियों की ओर ध्यान दिलाया था, इसलिए SIR को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जाना चाहिए।
आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा,
“हम प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अगर इसके ज़रिए मताधिकार छीनने की कोशिश हुई, तो विपक्ष सड़कों पर उतरकर इसका मुकाबला करेगा।”
‘मताधिकार छीन रही भाजपा’ — विपक्ष का आरोप
दिल्ली से कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा,
“भाजपा अब संविधान से मिले मताधिकार को कमजोर करना चाहती है। जब जनता ने लोकसभा चुनाव में उन्हें 240 सीटों पर सीमित किया, तो अब वे चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर अपने फायदे के लिए वोटरों को निशाना बना रहे हैं।”
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर केंद्र सरकार ‘घुसपैठियों’ की बात करती है, तो उसे पहले स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसे लोगों की पहचान और संख्या क्या है।
NDA नेताओं ने कहा — “SIR से लोकतंत्र होगा पारदर्शी”
इसके विपरीत, एनडीए नेताओं ने SIR को लोकतांत्रिक सुधार की दिशा में अहम कदम बताया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा,
“मैं चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत करता हूं। हम लंबे समय से यही मांग कर रहे थे कि मतदाता सूचियों का संक्षिप्त नहीं बल्कि गहन पुनरीक्षण होना चाहिए। इससे अवैध वोटरों की पहचान में मदद मिलेगी।”
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कहा,
“यह पूरी तरह चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र है। समय-समय पर ऐसे पुनरीक्षण जरूरी होते हैं ताकि मृत या अवैध मतदाताओं को हटाया जा सके और लोकतंत्र को स्वच्छ रखा जा सके।”
“SIR से कोई वैध मतदाता छूटे नहीं” — जेडीयू
बिहार के जेडीयू नेता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि बिहार में SIR प्रक्रिया सफल रही और अब इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा,
“इस प्रक्रिया का मकसद किसी को बाहर करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर वैध मतदाता सूची में शामिल हो और कोई फर्जी नाम न रहे।”
दिल्ली भाजपा नेता प्रवीण खंडेलवाल ने जोड़ा,
“यह फैसला बेहद जरूरी है। मतदाता सूची में ऐसे नाम हैं जो अब जीवित नहीं हैं या देश छोड़ चुके हैं। चुनाव आयोग की यह कार्रवाई लोकतंत्र को और मजबूत करेगी।”
राजनीतिक माहौल गरमाया, आयोग की घोषणा पर टिकी निगाहें
SIR को लेकर विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन के बीच टकराव बढ़ गया है।
आयोग आज शाम देशभर में SIR के पहले चरण की तारीखों और राज्यों का एलान करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को और तीखा कर सकता है।


