लूणकरणसर (बीकानेर): सरकार की फसल बीमा योजना, जो किसानों के लिए राहत का सहारा बनी थी, अब ठगों की कमाई का जरिया बनती जा रही है। लूणकरणसर क्षेत्र में बिना फसल बोए ही फर्जी दस्तावेजों से बीमा क्लेम उठाने के कई मामले सामने आए हैं।
जांच में सामने आया है कि यह खेल राजस्व विभाग, बैंक कर्मचारियों और कुछ ई-मित्र संचालकों की मिलीभगत से चलाया जा रहा था।
फर्जी बीमा करवाकर उठाया 45 हजार रुपए का क्लेम
ताज़ा मामला खोखराणा निवासी किसान बुधराम मेघवाल की शिकायत पर उजागर हुआ है। बुधराम और उनके चार भाइयों की संयुक्त 13.40 हेक्टेयर भूमि (खसरा नंबर 430 और 830) पर देवीलाल पुत्र श्रीराम निवासी लालेरा के नाम से फर्जी तरीके से फसल बीमा कराया गया और क्लेम राशि भी निकाल ली गई।
बुधराम ने बताया कि जुलाई 2025 में जब वे खरीफ फसल का बीमा करवाने ई-मित्र केंद्र गए, तो उन्हें पता चला कि उनके ही खेत पर किसी और के नाम से पहले ही बीमा करवाकर रबी 2024 की सरसों व तारामीरा फसल का ₹45,000 का भुगतान किया जा चुका है।
कूटरचित दस्तावेजों से चल रहा था खेल
एफआईआर के अनुसार, देवीलाल ने कथित रूप से राजस्व विभाग और बैंक कर्मचारियों की मदद से किसानों के नाम पर कूटरचित दस्तावेज तैयार करवाए, जिन पर फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान लगाए गए।
इस फर्जीवाड़े के तहत द सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, शाखा लूणकरणसर के माध्यम से भुगतान प्राप्त किया गया।
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कई गांवों में सक्रिय फर्जी नेटवर्क का खुलासा
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि खोखराणा, लालेरा, खियेरां, भादवा और खिलेरिया जैसे गांवों में भी इसी तरह के फर्जी बीमा क्लेम किए गए हैं।
कई किसान तो इस बात से पूरी तरह अनजान हैं कि उनके खेतों पर बीमा कराया गया और रकम किसी और के खाते में पहुंच गई।
किसानों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
पीड़ित किसानों ने जिला प्रशासन और पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। किसानों का कहना है कि यह मामला केवल आर्थिक धोखाधड़ी नहीं बल्कि किसानों की मेहनत और अधिकारों के साथ सीधा खिलवाड़ है।
लूणकरणसर पुलिस ने बुधराम मेघवाल की रिपोर्ट पर धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश के आरोपों में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि कई सरकारी और बैंक अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी और जल्द ही पूरे रैकेट का खुलासा किया जा सकता है।


