भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष मलेशिया के कुआलालंपुर में होने वाले 47वें ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) समिट में व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मलेशिया पहुंच चुके हैं और समिट में व्यक्तिगत उपस्थिति देंगे। इस दूरी के पीछे कई कारण देखे जा रहे हैं — नीचे विस्तार से समझा गया है।
क्या कहा गया है?
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मलेशिया के प्रधानमंत्री Anwar Ibrahim ने बताया कि मोदी ने उन्हें फोन करके बताया कि दिवाली उत्सव के कारण वे सम्मिलित नहीं हो पाएंगे और वर्चुअल माध्यम अपनाएँगे।
-MEA की ओर से कहा गया है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। -
विद्रोहियों और विपक्ष ने इस निर्णय को यूएस अध्यक्ष ट्रम्प के साथ व्यक्तिगत मुलाकात से बचाव के रूप में देखा है।
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समाचार एजेंसी Reuters ने लिखा है कि इस फैसले से यह संकेत मिल गया है कि मोदी-ट्रम्प के बीच इस समिट में कोई बहु-पक्षीय या द्विपक्षीय बैठक संभव नहीं होगी।
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दूरी के पीछे मुख्य वजहें
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दिवाली समारोह — आधिकारिक तौर पर मोदी ने बताया है कि समिट के समय भारत में दिवाली-उत्सव चल रहा होगा, इसलिए वर्चुअल उपस्थिति होगी।
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ट्रम्प–भारत व्यापार/टैरिफ तनाव — अमेरिका ने भारत पर भारी टैरिफ लगाए हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में मोदी-ट्रम्प की सार्वजनिक मुलाकात जोखिमपूर्ण हो सकती थी।
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राजनीतिक व कूटनीतिक सावधानी — विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी ने इस बार खुद को ऐसे मंच से दूर रखा है जहाँ ट्रम्प की अप्रत्याशित टिप्पणियाँ भारत-के हित में न हों।
क्या यह संकेत है कुछ और?
हां, इस दूरी को सिर्फ एक आयोजन-समयावधि की समस्या के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान जटिल स्थिति, दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रणनीति, और बड़े नेताओं की ‘मंच पर कैसे दिखना है’ की सोच का परिणाम भी हो सकती है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी की व्यक्तिगत उपस्थिति न होना केवल दिवाली-कारण या कार्यक्रम चालू न होने का मामला नहीं है— बल्कि यह एक विवेकपूर्ण निर्णय लगता है जिसमें भारत ने मंच की रणनीति, संभावित जोखिम, और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिवेश को ध्यान में रखा है। वीच मंच पर उपस्थिति से भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को कैसे प्रभावित किया जा सकता है, यह इस बार खुद-ब-खुद सवाल बन गया है।


