e-SIM Scam: मुंबई में डॉक्टर से 10.5 लाख की ठगी, बढ़ रहे हैं डिजिटल सिम फ्रॉड के मामले
मुंबई में एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है, जिसमें एक डॉक्टर को e-SIM के नाम पर 10.5 लाख रुपये का नुकसान हुआ। साइबर अपराधियों ने खुद को टेलीकॉम कंपनी का प्रतिनिधि बताकर डॉक्टर को यह विश्वास दिलाया कि उनका फिजिकल सिम बंद किया जा रहा है और 24 घंटे में e-SIM एक्टिवेट किया जाएगा। इस झांसे में आकर डॉक्टर ने अपनी जानकारी साझा कर दी, जिसके बाद ठगों ने उनके बैंक खाते से पैसे निकाल लिए।
जैसे ही डॉक्टर को ठगी का एहसास हुआ, उन्होंने तुरंत मुंबई पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि अपराधियों ने पैसे ट्रांसफर करने के लिए एक अस्पताल में काम करने वाले ऑफिस बॉय का बैंक अकाउंट इस्तेमाल किया था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
क्या है e-SIM और कैसे काम करता है?
e-SIM या Embedded SIM एक डिजिटल सिम कार्ड है जो सीधे मोबाइल फोन या स्मार्टवॉच में इंटीग्रेटेड होता है। इसमें फिजिकल सिम की जरूरत नहीं पड़ती। इसे टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के जरिए QR कोड या डिजिटल प्रक्रिया से एक्टिव किया जाता है।
कैसे होता है e-SIM अपग्रेड स्कैम?
साइबर विशेषज्ञ दीपेंद्र सिंह के अनुसार, ठग इस स्कैम में खुद को मोबाइल कंपनी का अधिकारी बताकर यूजर से संपर्क करते हैं। वे e-SIM अपग्रेडेशन के नाम पर OTP या वेरिफिकेशन कोड मांगते हैं। जैसे ही यूजर OTP साझा करता है, उनका असली सिम निष्क्रिय कर दिया जाता है और अपराधी अपने डिवाइस पर e-SIM एक्टिवेट कर लेता है। इसके बाद ईमेल, बैंक और अन्य डिजिटल अकाउंट्स को एक्सेस कर वित्तीय नुकसान पहुंचाया जाता है।
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इन बातों का रखें ध्यान
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ज्योति सिंह ने बताया कि ऐसे फ्रॉड में अपराधी जल्दबाजी और डर का माहौल बनाकर लोगों से जानकारी निकलवाते हैं। किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें, चाहे सामने वाला खुद को किसी बड़ी कंपनी का अधिकारी ही क्यों न बताए।
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OTP या PIN कभी शेयर न करें।
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सिर्फ ऑफिशियल वेबसाइट या ऐप से ही सिम अपडेट करें।
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कॉलिंग ऐप में स्पैम अलर्ट ऑन रखें।
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किसी भी संदिग्ध लिंक या मैसेज पर क्लिक करने से बचें।
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डोमेन या URL में मामूली बदलावों पर ध्यान दें, ये फेक साइट का संकेत हो सकता है।
साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
सुरक्षा विशेषज्ञ विजेंद्र यादव के अनुसार, कंपनियों और यूजर्स दोनों को “Zero Trust” फ्रेमवर्क अपनाना चाहिए, जहां हर रिक्वेस्ट की वेरिफिकेशन डिवाइस पहचान, लोकेशन और व्यवहारिक पैटर्न से की जाए। इससे पासवर्ड या सिम आधारित ऑथेंटिकेशन से आगे बढ़कर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
अगर आप साइबर फ्रॉड के शिकार हो जाएं तो क्या करें
यदि किसी तरह का साइबर फ्रॉड हो जाए तो सबसे पहले अपने बैंक को कॉल करके कार्ड या अकाउंट ब्लॉक करवाएं। इसके बाद नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें। ठगी से जुड़े सभी सबूत जैसे मैसेज, ईमेल और ट्रांजैक्शन डिटेल्स सुरक्षित रखें।


