राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला: तीनों प्रमुख नगर निगमों में अब अधिकारी चलाएंगे शहरी प्रशासन
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने राज्य के तीन प्रमुख नगर निगमों — जयपुर, जोधपुर और कोटा — में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है। स्वायत्त शासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इन नगर निगमों का वर्तमान कार्यकाल 9 नवंबर 2025 को समाप्त हो जाएगा। सरकार ने यह कदम नए निर्वाचित बोर्ड के गठन तक शहरी प्रशासन में निरंतरता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया है।
जयपुर में पूनम को सौंपी गई जिम्मेदारी
जयपुर संभागीय आयुक्त पूनम को जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर नगर निगम दोनों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार, जोधपुर और कोटा के संभागीय आयुक्तों को भी उनके-अपने नगर निगमों की प्रशासनिक जिम्मेदारी दी गई है। इस फैसले के साथ ही राज्य सरकार ने इन तीनों शहरों के नगर निगमों को एकीकृत करने का निर्णय भी लिया है, ताकि विकास कार्यों में समन्वय और दक्षता बढ़ सके।
जनता के कार्यों पर पड़ेगा असर
नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के बाद मेयर और पार्षदों का अधिकार खत्म हो जाएगा। अब तक नागरिक अपने राशन कार्ड में संशोधन, मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, आरटीई आवेदन और पुलिस सत्यापन जैसे काम पार्षदों के माध्यम से आसानी से करवाते थे। लेकिन अब इन कार्यों के लिए लोगों को विधायक, सांसद या राजपत्रित अधिकारियों के पास सिफारिश के लिए जाना पड़ सकता है। इससे सामान्य जनजीवन पर असर पड़ने की आशंका है।
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निगमों के एकीकरण से क्या होंगे बदलाव
जयपुर, जोधपुर और कोटा में पहले दो-दो नगर निगम होने से प्रशासनिक समन्वय की कमी और विवाद की स्थिति बनी रहती थी। कई बार सड़क मरम्मत, सीवर लाइन, और स्ट्रीट लाइट जैसे बुनियादी कार्य लंबित रह जाते थे। अब एकीकृत नगर निगम बनने के बाद बजट, विकास योजनाओं और प्रशासनिक जिम्मेदारियों का केंद्रीकरण होगा।
इससे विकास परियोजनाओं में तेजी आने की उम्मीद है। प्रशासनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग और योजनाओं का एकीकृत क्रियान्वयन संभव होगा। सरकार का मानना है कि प्रशासकों की नियुक्ति से निर्णय प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित होगी और शहरों के विकास में नई गति मिलेगी।






