इस्लामपुर का नया नाम ईश्वरपुर, केंद्र सरकार से मिली अंतिम मंजूरी
महाराष्ट्र के सांगली जिले के ऐतिहासिक शहर इस्लामपुर का नाम अब आधिकारिक रूप से ईश्वरपुर हो गया है। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) से भी औपचारिक स्वीकृति पत्र प्राप्त हो चुका है। इसके साथ ही शहर के नाम परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी हो गई है और अब सभी सरकारी दस्तावेजों में इसका नया नाम ईश्वरपुर दर्ज किया जाएगा।
राज्य सरकार का प्रस्ताव और केंद्र की मुहर
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन इस्लामपुर का नाम बदलकर ईश्वरपुर करने की घोषणा की थी। राज्य मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को मंजूरी देकर केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र की स्वीकृति मिलने के बाद यह नाम परिवर्तन कानूनी रूप से मान्य हो गया है।
अब नगर परिषद, विधानसभा क्षेत्र, स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों, विद्यालयों, सरकारी दस्तावेजों और औद्योगिक संस्थानों में भी नया नाम ईश्वरपुर इस्तेमाल किया जाएगा।
नाम बदलने की मांग क्यों उठी?
ईश्वरपुर नाम की मांग कोई नई नहीं थी। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों द्वारा यह आवाज लगभग पिछले 40 से 50 वर्षों से उठाई जा रही थी।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के तत्कालीन इस्लामपुर प्रमुख पंत सबनीस ने सबसे पहले इस शहर का नाम बदलने की पहल की थी।
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बाद में शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने दिसंबर 1986 में यल्लम्मा चौक पर आयोजित सभा में सार्वजनिक रूप से इस्लामपुर को “ईश्वरपुर” कहकर संबोधित किया था।
स्थानीय लोगों का मानना है कि “ईश्वरपुर” नाम शहर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को बेहतर रूप से दर्शाता है।
स्थानीय लोगों में खुशी, प्रशासन में तैयारियाँ
केंद्र की मंजूरी के बाद शहर में उत्साह का माहौल है। नगर परिषद और जिला प्रशासन अब सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी रिकॉर्ड, बोर्ड, और साइनबोर्ड पर नया नाम अपडेट करने की तैयारी में हैं।
नगर परिषद के एक अधिकारी ने बताया कि जल्द ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में नए नाम वाले बोर्ड लगाए जाएंगे।
महाराष्ट्र में नाम बदलने की परंपरा
यह पहला अवसर नहीं है जब महाराष्ट्र में किसी शहर का नाम बदला गया हो।
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औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर,
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उस्मानाबाद का नाम धाराशिव,
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और अहमदनगर का नाम अहिल्यानगर किया जा चुका है।
इन नाम परिवर्तनों के पीछे स्थानीय लोगों की भावनाएँ और ऐतिहासिक-सांस्कृतिक कारण प्रमुख रहे हैं।






